Thursday, July 2, 2020

भोली लड़की की सेक्सी चूचि

फ्रेंड्स, आपकी फेवरेट देशी सेक्स कहानी का अंत आ गया है. और जैसी जबरदस्त ये चुदाई कहानी है, वैसी ही धमाकेदार इसकी एंडिंग होनी चाहिए. मंच तैयार है, आप भी कूद पड़िए. 
” कल रात मेरे घर में पार्टी है… कुछ दोस्त लोग आ रहे हैं… वहाँ तुम्हें नाचना होगा… !” 
लक्की की फरमाइश सुनकर मेरी सांस में सांस आई. मैंने तो न जाने क्या क्या सोच रखा था… मुझे लगा वह मुझे चोदने का इरादा तो ज़रूर करेगा… पर उसकी(uski) इस आसान शर्त से मुझे राहत मिली. 
” जी ठीक है.” 
” नंगी !!” उसने(usne) कुछ देर के बाद अपना वाक्य पूरा करते हुए कहा और मेरी तरफ देखने लगा.” नंगी?” मैंने पूछा. 
” हाँ… बिल्कुल नंगी !!!” 
मैं निस्तब्ध रह गई… कुछ बोल नहीं सकी. 
” पानी के शावर के नीचे… ” लक्की अब मज़े ले लेकर धीरे धीरे अपनी शर्तें परोस रहा था. 
” मेरे और मेरे दोस्तों के साथ… !!!” लक्की चटकारे लेते हुए बोला. 
” मुझसे नहीं होगा.” मैंने धीमे से कहा. 
” होगा कैसे नहीं, साली !” उसने(usne) मेरे गाल पर जोर से चांटा मारते हुए कहा. फिर मेरी चोटी पीछे खींचते हुए मेरा सिर ऊपर किया और मेरी आँखों में अपनी बड़ी बड़ी आँखें डालते हुए बोला. 
” मैं तेरी राय नहीं ले रहा हरामखोर… तुझे बता रहा हूँ… मुझे ना सुनने की आदत नहीं है… और हाँ… अब तो तुझे चुदाई का स्वाद लग गया होगा… तो अगर मैं या मेरे दोस्त तेरे साथ… ” 
” नहीं… ” लक्की अपना वाक्य पूरा करता उसके(uske) पहले ही मैं चिल्लाई. लक्की ने मेरी चुटिया जोर से खींची जिससे मेरी चीख निकल गई और मुझे तारे नज़र आने लगे और मैं अपने पांव पर लड़खड़ाने लगी. 
” इधर देख !” लक्की ने मेरी ठोड़ी अपनी तरफ करते हुए कहा ” तेरी जैसी सैंकड़ों छोरियां मेरे घर में रोज नंगी नाचती हैं… हमें खुश करना अपना सौभाग्य समझती हैं… तू कहाँ की महारानी आई है?” 
” वैसे भी… अब तेरे बदन में रह ही क्या गया है जिसे तू छुपाना चाहती है?… राजू ने कुछ नहीं किया क्या?” 
कुछ देर बाद लक्की ने मेरी चुटिया छोड़ी और मुझे समझाने के लहजे में अपनी आवाज़ नीची करके, सहानुभूति के अंदाज़ में कहने लगा ” देखो, अब तुम्हारे पास कोई चारा नहीं है… हमें खुश रखो… हम तुम्हारा ध्यान रखेंगे… अगर तुम नखरे दिखाओगी तो हम तुम्हारी गांड भी बजायेंगे और शहर में ढिंडोरा भी पीटेंगे… सोच लो?” 
मैं चुप रही ! क्या कहती? 
लक्की ने मेरी चुप्पी को स्वीकृति समझते हुए निर्देश देने शुरू किये.. 
” तो फिर पार्टी कल रात देर से शुरू होगी… मेरे आदमी तुम्हें 9 बजे लेने आयेंगे… तैयार रहना… अपने भाई-बहन को खाना खिला कर सुला देना. तुम्हारा खाना हमारे साथ ही होगा… कपड़ों की चिंता मत करना… वहाँ तुम्हें बहुत सारे मिल जायेंगे… वैसे भी तुम्हें कपड़ों की ज्यादा ज़रूरत नहीं पड़ेगी… ” लक्की मेरी दशा पर मज़ा लूटते हुए बोले जा रहा था. 
मैं अवाक सी खड़ी रही. 
” रात के ठीक 9 बजे !” लक्की मुझे याद दिलाते हुए और चेतावनी देते हुए अपने साथियों के साथ चला गया. मेरी दुनिया एक ही पल में क्या से क्या हो गई थी. जहाँ एक तरफ मैं अपने भौतिक जीवन के सबसे मजेदार पड़ाव का आनन्द ले रही थी वहीं मेरे जीवन की सबसे डरावनी और चिंताजनक घड़ी मेरे सामने आ गई थी. अचानक मैं भय, चिंता, ग्लानि, पश्चाताप और क्रोध की मिश्रित भावनाओं से जूझ रही थी. मेरा गला सूख गया था और मेरे सिर में हल्का सा दर्द शुरू हो गया था. अगर घर वालों को पता चल गया तो क्या होगा? शालू और जितु, जो मुझे माँ सामान समझते हैं, मेरे बारे में क्या सोचेंगे… बापू तो शर्म से कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रह जायेंगे… शायद वे आत्महत्या कर लें… और राजू की बीवी, जो शादी के समय मुझसे मिल चुकी थी और जिसके साथ मैंने बहुत मसखरी की थी, मुझे सौत के रूप में देखेगी… मुझे कितना कोसेगी कि मैंने उसके(uske) घर संसार को उजाड़ दिया…
मैं अपने किये पर सोच सोच कर पछताती जा रही थी… जैसे जैसे मुझे अपनी करतूत के परिणाम महसूस होने लगे, मुझे लगने लगा कि इस घटना को गोपनीय रखने में ही मेरी और मेरे घरवालों की भलाई है. मेरा मन पक्का होने लगा और मैंने इरादा किया कि लक्की की बात मान लेने में ही समझदारी है. एक बार लक्की मेरा नाजायज़ फ़ायदा उठा लेगा तो वह खुद मुझे बचाने के लिए बाध्य होगा वर्ना उसकी(uski) इज्ज़त भी मिटटी में मिल सकती है और वह रामाराव जी की नज़रों और नीचे गिर सकता है. हो सकता है वे गुस्से में उसको अपनी जागीर से बेदखल भी कर दें. लक्की को यह अंदेशा बहुत पहले से था और वह अपने पिता को और अधिक निराश करने का जोखिम नहीं उठा सकता था. ऐसी हालत में मेरा लक्की को सहयोग देना मेरे लिए फायदेमंद होगा. धीरे धीरे मेरा दिमाग ठीक से काम करने लगा. कुछ देर पहले की कश्मकश और उधेड़बुन जाती रही और अब मैं ठीक से सोचने लगी थी. सबसे पहले मैंने अपने आप को सामान्य करने की ज़रूरत समझी जिससे घर में किसी को किसी तरह की शंका ना हो… फिर सोचने लगी कि कल रात के लिए शालू-जितु को क्या बताना है जिससे वे साथ आने की जिद ना करें…
कुछ देर बाद शालू-जितु स्कूल से वापस आ गए. हमने खाना खाया… उन्होंने राजू के बारे में पूछा तो मैंने यह कह कर टाल दिया कि उसे किसी ज़रूरी काम से अपने घर जाना पड़ा है. फिर मैंने कल रात की तैयारी के लिए भूमिका बनानी शुरू कर दी. रात को सोते वक्त मैंने शालू-जितु के बिस्तर पर जाकर उनसे बातचीत शुरू की…
” कल रात हवेली में एक पूजा समारोह है जिसमें बच्चे नहीं जाते और सिर्फ शादी-लायक कुंवारी लड़कियाँ ही जाती हैं !” मैंने शालू-जितु को बताया. 
“तो मैं भी जा सकती हूँ?” शालू ने उत्साह के साथ कहा. 
“चल हट ! तू कोई शादी के लायक थोड़े ही है… पहले बड़ी तो हो जा !” मैंने उसकी(uski) बात काटते हुए कहा. 
” वैसे उस पूजा में मेरा जाने का बहुत मन है पर तुम दोनों को घर में अकेले छोड़ कर कैसे जा सकती हूँ?” 
” किस समय है?” शालू ने पूछा. 
” रात नौ बजे शुरू होगी !” 
” और खत्म कब होगी?” 
” पता नहीं !” 
” ठीक है… तो तुम बाहर से ताला लगाकर चली जाना हम खाना खाकर सो जायेंगे.” शालू ने स्वाभाविक रूप से समाधान बताया. 
” तुम्हें डर तो नहीं लगेगा?” मैंने चिंता जताई. 
” हम अकेले थोड़े ही हैं… और जब बाहर से ताला होगा तो कोई अंदर कैसे आएगा?” 
” ठीक है… अगर तुम कहते हो तो मैं चली जाऊंगी.” मैंने उन पर इस निर्णय का भार डालते हुए कहा. 
मुझे तसल्ली हुई कि एक समस्या तो टली. अब बस मुझे कल रात की अपेक्षित घटनाओं का डर सता रहा था… ना जाने क्या होने वाला था… लक्की और उसके(uske) दोस्त मेरे साथ क्या क्या करने वाले हैं… मैं अपने मन में डर, कौतूहल, चिंता और भ्रम की उधेड़बुन में ना जाने कब सो गई…
अगले दिन मैं पूरे समय चिंतित और घबराई हुई सी रही. अपने आप को ज्यादा से ज्यादा काम में व्यस्त करने की चेष्टा में लगी रही पर रह रह कर मुझे आने वाली रात का डर घेरे जा रहा था. शालू-जितु को भी मेरा व्यवहार अजीब लग रहा था पर जैसे-तैसे मैंने उन्हें सिर-दर्द का बहाना बनाकर टाल दिया. रात के आठ बजे मैंने दोनों को खाना दिया और वे स्कूल का काम करने और फिर सोने चले गए. इधर मैंने स्नान करके सादा कपड़े पहने और बलि के बकरे की भांति नौ बजे का इंतज़ार करने लगी. 
नौ बजे से कुछ पहले मैंने देखा कि दोनों बच्चे सो गए हैं. मैंने राहत की सांस ली क्योंकि मैं उनके सामने लक्की के आदमियों के साथ जाना नहीं चाहती थी. मैंने समय से पहले ही घर को ताला लगाया और बाहर इंतज़ार करने लगी. ठीक नौ बजे लक्की के दो आदमी मुझे लेने आ गए. मुझे बाहर तैयार खड़ा देख उन दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा. ” लौंडिया तेज़ है बॉस ! इससे रुका नहीं जा रहा !!” एक ने अभद्र तरीके से हँसते हुए कहा. 
” माल अच्छा है… काश मैं भी ज़मींदार का बेटा होता !” दूसरे ने हाथ मलते हुए कहा और मुझे घूरने लगा. 
” अबे अपने घोड़े पर काबू रख… बॉस को पता चल गया तो तेरी लुल्ली अपने तोते को खिला देगा… तू बॉस को जानता है ना?” 
” जानता हूँ यार… राजा गिद्ध की तरह शिकार पर पहली चौंच वह खुद मारता है… फिर उसके(uske) नज़दीकी दोस्त और बाद में हम जैसों के लिए बचा-कुचा माल छोड़ देता है !” 
उन्होंने मुझसे कुछ कहे बिना हवेली की तरफ चलना शुरू कर दिया… मैं परछाईं की तरह उनके पीछे पीछे हो ली. उनकी बातें सुनकर मेरा डर और बढ़ गया. थोड़े देर में वे मुझे हवेली के एक गुप्त द्वार से अंदर ले गए और वहां एक अधेड़ उम्र की औरत के हवाले कर दिया. 
” इसको जल्दी तैयार कर दो चाची… बॉस इंतज़ार कर रहे हैं !” कहकर वे अंतर्ध्यान हो गए. 
” अंदर जाकर मुँह-हाथ धो ले… कुल्ला कर लेना और नीचे से भी धो लेना… मैं कपड़े लाती हूँ.” चाची ने बिना किसी प्रस्तावना के मुझे निर्देश देते हुए गुसलखाने का दरवाज़ा दिखाया. 
” जल्दी कर…!” जब मैं नहीं हिली तो उसने(usne) कठोरता से कहा और अलमारी खोलने लगी. अलमारी में तरह तरह के जनाना कपड़े सजे हुए थे. मैं चाची को और कपड़ों को देखती देखती गुसलखाने में चली गई. 
वाह… कितना बड़ा गुसलखाना था… बड़े बड़े शीशे, बड़ा सा टब, तरह तरह के नल और शावर, सैंकड़ों तौलिए और हजारों सौंदर्य प्रसाधन. मैं भौंचक्की सी चीज़ें देख रही थी कि चाची की ‘जल्दी करती है कि मैं अंदर आऊँ?’ की आवाज़ से मैं होश में आई. 
मैंने चाची के कहे अनुसार मुंह-हाथ धोए, कुल्ला किया और बाहर आ गई. 
चाची ने जैसे ही मुझे देखा हुक्म दे दिया,”सारे कपड़े उतार दे !” 
मैं हिचकिचाई तो चाची झल्लाई और बोली,”उफ़ ! यहाँ शरमा रही है और वहाँ नंगा नाचेगी… अब नाटक बंद कर और ये कपड़े पहन ले… जल्दी कर !” 
उसने(usne) मेरे लिए मेहंदी और हरे रंग का लहरिया घाघरा और हलके पीले रंग की चुस्त चोली निकाली हुई थी. नीचे पहनने के लिए किसी मुलायम कपड़े की बलुआ रंग की ब्रा और चड्डी थी… दोनों ही अत्यंत छोटी थीं और दोनों को बाँधने के लिए डोरियाँ थीं – कोई बटन, हुक या नाड़ा नहीं था. मैंने धीरे धीरे अपने कपड़े उतारने शुरू किये तो चाची आई और जल्दी जल्दी मेरे बदन से कपड़े उखाड़ने लगी. मैंने उसे दूर किया और खुद ही जल्दी से उतारने लगी. “इनको भी…!” चाची ने मेरी चड्डी और ब्रा की तरफ उंगली उठाते हुए निर्देश दिया. 
मैंने उसका हुक्म मानने में ही भलाई समझी और उसके(uske) सामने नंगी खड़ी हो गई. चाची ने मेरे पास आकर मेरा निरीक्षण किया… मेरे बाल, मम्मे, बगलें और यहाँ तक कि मेरी टांगें खुलवा कर मेरी योनि और चूतड़ों को पाट कर मेरी गांड भी देखी और सूंघी. 
“नीचे नहीं धोया?” उसने(usne) मुझे अस्वीकार सा करते हुए कहा और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे घसीटती हुई गुसलखाने में ले गई. वहाँ उसने(usne) बिना किसी उपक्रम के मुझे एक जगह खड़ा किया, मेरी टांगें खोलीं और हाथ में एक लचीला शावर लेकर मेरे सिर के बाल छोड़कर मुझे पूरी तरह नहला दिया. मेरी योनि और गांड में भी हाथ और उँगलियों से सफाई कर दी. फिर एक साफ़ तौलिया लेकर मुझे झट से पौंछ दिया और करीब दो मिनट के अंदर ये सब करके मुझे बाहर ले आई. 
” सब कुछ मुझे ही करना पड़ता है… आजकल की छोरियाँ… बस भगवान बचाए !!” चाची बड़बड़ा रही थी. ” ये पहन ले… जल्दी कर… तुझे लेने आते ही होंगे !” चाची ने मुझे चेताया. 
मैंने वे कपड़े पहन लिए. इतने महँगे कपड़े मैंने पहले नहीं पहने थे… मुलायम कपड़ा, बढ़िया सिलाई, शानदार रंग और बनावट. मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. 
चाची ने मेरे बालों में कंघी की, गजरा लगाया, हाथ, गले और कानों में आभूषण डाले और अंत में एक इत्तर की शीशी खोल कर मेरे कपड़ों पर और कपड़ों के नीचे मेरी गर्दन, कान, स्तन, पेट और योनि के आस-पास इतर लगा दिया. मेरे बदन से जूही की भीनी भीनी सुगंध आने लगी. मुझे दुल्हन की तरह सजाया जा रहा था… लाज़मी है मेरे साथ सुहागरात मनाई जाएगी. मुझे मेरा कल लिया गया निश्चय याद आ गया और मैं आने वाली हर चुनौती के लिए अपने को तैयार करने लगी. जो होगा सो देखा जायेगा… मुझे लक्की को अपना दुश्मन नहीं बनाना था. 
दरवाज़े पर किसी ने दस्तक दी. 
” लो… तुम्हें लेने आ गए…” चाची ने कहा और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे दरवाज़े तक ले गई और मुझे विधिवत लक्की के दूतों के हवाले कर दिया. 
मैंने वे कपड़े पहन लिए. इतने महँगे कपड़े मैंने पहले नहीं पहने थे… मुलायम कपड़ा, बढ़िया सिलाई, शानदार रंग और बनावट. मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. 
चाची ने मेरे बालों में कंघी की, गजरा लगाया, हाथ, गले और कानों में आभूषण डाले और अंत में एक इत्तर की शीशी खोल कर मेरे कपड़ों पर और कपड़ों के नीचे मेरी गर्दन, कान, स्तन, पेट और योनि के आस-पास इतर लगा दिया. मेरे बदन से जूही की भीनी भीनी सुगंध आने लगी. मुझे दुल्हन की तरह सजाया जा रहा था… लाज़मी है मेरे साथ सुहागरात मनाई जाएगी. मुझे मेरा कल लिया गया निश्चय याद आ गया और मैं आने वाली हर चुनौती के लिए अपने को तैयार करने लगी. जो होगा सो देखा जायेगा… मुझे लक्की को अपना दुश्मन नहीं बनाना था. 
दरवाज़े पर किसी ने दस्तक दी. 
” लो… तुम्हें लेने आ गए…” चाची ने कहा और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे दरवाज़े तक ले गई और मुझे विधिवत लक्की के दूतों के हवाले कर दिया. 
वे मुझे एक सुरंगी रास्ते से ले गए जहाँ एक मोटा, लोहे और लकड़ी का मज़बूत दरवाज़ा था जिस पर दो लठैत मुश्टण्डों का पहरा था. मेरे पहुँचते ही उन्होंने दरवाज़ा खोल दिया… दरवाज़ा खुलते ही ऊंची आवाजों और संगीत का शोर और चकाचौंध करने वाला उजाला बाहर आ गया. मैंने अकस्मात आँखें मूँद लीं और कान पर हाथ रख लिए पर उन लोगों ने मेरे हाथ नीचे करते हुए मुझे अंदर धकेल दिया और दरवाज़ा बंद कर दिया. 
मुझे देखते ही अंदर एक ठहाका सा सुनाई दिया और कुछ आदमियों ने सीटियाँ बजानी शुरू कर दीं… संगीत बंद हो गया और कमरे में शांति हो गई. मैंने अपनी चुन्धयाई हुई आँखें धीरे धीरे खोलीं और देखा कि मैं एक बड़े स्टेज पर खड़ी हूँ जिसे बहुत तेज रोशनी से उजागर किया हुआ था. 
कमरा ज्यादा बड़ा नहीं था… करीब 8-10 लोग ही होंगे… एक किनारे में एक बार लगा हुआ था दूसरी तरफ खाने का इंतजाम था. दो-चार अर्ध-नग्न लड़कियाँ मेहमानों की देखभाल में लगी हुईं थीं. लगभग सभी महमान 25-30 साल के मर्द होंगे… पर मुझे एक करीब 60 साल का नेता और करीब 45 साल का थानेदार भी दिखाई दिया, जो अपनी वर्दी में था. सभी के हाथों में शराब थी और लगता था वे एक-दो पेग टिका चुके थे. मैं स्थिति का जायज़ा ले ही रही थी कि लक्की ताली बजाता हुआ स्टेज पर आया और मेरे पास खड़े होकर अपने मेहमानों को संबोधित करने लगा…
” चौधरी जी (नेता की तरफ देखते हुए), थानेदार साहब और दोस्तों ! मुझे खुशी है आप सब मेरा जन्मदिन मनाने यहाँ आये. धन्यवाद. हर साल की तरह इस साल भी आपके मनोरंजन का खास प्रबंध किया गया है. आप सब दिल खोल कर मज़ा लूटें पर आपसे विनती है कि इस प्रोग्राम के बारे में किसी को कानो-कान खबर ना हो… वर्ना हमें यह सालाना जश्न मजबूरन बंद करना पड़ेगा.” 
लोगों ने सीटी मार के और शोर करके लक्की का अभिवादन किया. 
” दोस्तो, आज के प्रोग्राम का विशेष आकर्षण पेश करते हुए मुझे खुशी हो रही है… हमारे ही खेत की मूली… ना ना मूली नहीं… गाजर है… जिसे हम प्यार से भोली बुलाते हैं… आज आपका खुल कर मनोरंजन करेगी… भोली का साथ देने के लिए… हमेशा की तरह हमारी चार लड़कियों की टोली… आपके बीच पहले से ही हाज़िर है. तो दोस्तों… मज़े लूटो और मेरी लंबी उम्र की कामना करो !!” 
कहते हुए लक्की ने तालियाँ बजाना शुरू कीं और सभी लोगों ने सीटियों और तालियों से उसका स्वागत किया. इस शोरगुल में लक्की ने मेरा हाथ कस कर पकड़ कर मेरे कान में अपनी चेतावनी फुसफुसा दी. उसके(uske) नशीले लहजे में क्रूरता और शिष्टता का अनुपम मिश्रण था. मुझे अपना कर्तव्य याद दिला कर लक्की मेरा हाथ पकड़ कर अपने हर महमान से मिलाने ले गया. सभी मुझे एक कामुक वस्तु की तरह परख रहे थे और अपनी भूखी, ललचाई आँखों से मेरा चीर-हरण सा कर रहे थे. 
नेताजी ने मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए मेरी पीठ पर हाथ रख दिया और धीरे से सरका कर मेरे नितंब तक ले गए. बाकी लोगों ने भी मेरा हाथ मिलाने के बहाने मेरा हाथ देर तक पकड़े रखा और एक दो ने तो मेरी तरफ देखते हुए मेरी हथेली में अपनी उंगली भी घुमाई. मैं सब सहन करती हुई कृत्रिम मुस्कान के साथ सबका अभिनन्दन करती रही. लक्की मेरा व्यवहार देख कर खुश लग रहा था. वैसे भी मैं सभी को बहुत सुन्दर दिख रही थी. 
सब मेहमानों से मुलाक़ात के बाद लक्की ने मुझे वहाँ मौजूद चारों लड़कियों से मिलवाया… उन सबके चेहरों पर वही दर्दभरी औपचारिक मुस्कान थी जिसे हम लड़कियाँ समझ सकती थीं. अब लक्की ने एक लड़की को इशारा किया और उसने(usne) मुझे स्टेज पर लाकर छोड़ दिया. 
लक्की ने एक बार फिर अपने दोस्तों का आह्वान किया,” दोस्तो ! अब प्रोग्राम शुरू होता है… आपके सामने भोली स्टेज पर है … उसने(usne) कपड़े और गहने मिलाकर कुल 9 चीज़ें पहनी हुई हैं… अब म्यूज़िक के बजने से भोली स्टेज पर नाचना शुरू करेगी… म्यूज़िक बंद होने पर उन 9 चीज़ों में से कोई एक चीज़, तरतीबवार, कोई एक मेहमान उसके(uske) बदन से उतारेगा… फिर म्यूज़िक शुरू होने पर उसका नाचना जारी रहेगा. अगर भोली कुछ उतारने में आनाकानी करती है तो आप अपनी मन-मर्ज़ी से ज़बरदस्ती कर सकते हैं. म्यूज़िक 9 बार रुकेगा… उसके(uske) बाद कोई भी स्टेज पर जाकर भोली के साथ नाच सकता है…”
लक्की का सन्देश सुनकर उसके(uske) दोस्तों ने हर्षोल्लास किया और तालियाँ बजाईं. 
मैं सकपकाई सी खड़ी रही और लक्की के इशारे से गाना बजना शुरू हो गया… “मुन्नी बदनाम हुई डार्लिंग तेरे लिए… ” कमरे में गूंजने लगा. 
लक्की ने मेरी तरफ देखा और मैंने इधर-उधर हाथ-पैर चलाने शुरू कर दिए… मुझे ठीक से नाचना नहीं आता था… पर वहाँ कौन मेरा नाच देखने आया था. 
कुछ ही देर में गाना रुका और लक्की के एक साथी ने एक पर्ची खोलते हुए ऐलान किया ” गजरा… रवि ” 
लक्की के दोस्तों में से रवि झट से स्टेज पर आया और मेरे बालों से गजरा निकाल दिया और मेरी तरफ आँख मार कर वापस चला गया. 
म्यूज़िक फिर से बजने लगा और कुछ ही सेकंड में रुक गया…
“कान की बालियाँ… अशोक !” 
अशोक जल्दी से आया और मेरे कान की बालियाँ उतारने लगा… उसकी(uski) कोहनियाँ जानबूझ कर मेरे स्तनों को छू रही थीं… उसने(usne) भी आँख मारी और चला गया. 
अगली बार जब गाना रुका तो किसी ने मुझे इधर-उधर छूते हुए मेरे हाथ से चूड़ियाँ उतार दीं… जाते जाते मेरे गाल पर पप्पी करता गया. 
गाना कुछ देर बजता और ज्यादा देर रुकता क्योंकि लोगों को गाने से ज्यादा मेरा वस्त्र-हरण मज़ा दे रहा था. गहनों के बाद क्रमशः मेरा दुपट्टा उतारा गया. अब तक 5 बार गाना रोका जा चुका था ! 
माहौल गरमा रहा था और धीरे धीरे हर आने वाला मेरे साथ निरंतर बढ़ती आज़ादी लेने लगा था… मैं घाघरा-चोली में नाच रही थी कि संगीत थमा और ” चोली… थानेदार साब ” का उदघोष हुआ. 
थानेदार साब ने अपनी गोदी से एक लड़की को उतारा, शराब का ग्लास मेज़ पर रखा और शराब से ज्यादा अपने ओहदे से उन्मत्त, झूमते हुए स्टेज पर आ गए. 
” वाह भोली… क्या लग रही हो !!” मुझे आलिंगनबद्ध करते हुए कहने लगे और फिर पीछे हट कर मुझे गौर से निहारने लगे. 
” भाइयो ! देखते हैं कि चोली के पीछे क्या है !!” उन्होंने मेरे वक्ष-स्थल पर हाथ रखते हुए कहा. 
मर्दों के अभद्र शोर और सीटियों ने थानेदार साब का हौसला बढ़ाया और उन्होंने ने मेरे मम्मों को हलके से मसलते हुए मेरी चोली को खोलना शुरू किया. कमरे में शोर ऊंचा हो गया और लोग तरह तरह की फब्तियां कसने लगे… थानेदार साब ने मेरी पीठ और पेट पर हाथ फिराते हुए मेरी चोली खोल दी और उसको सूंघने के बाद हाथ ऊपर करके आसमान में घुमाने लगे… और फिर उसे स्टेज के नीचे मर्दों के झुण्ड में फ़ेंक दिया. 
लोगों ने ऊपर उचक उचक कर उसे लूटने की होड़ लगाईं और जिस के हाथ वह चोली आई उसने(usne) उसे चूमते हुए अपने सीने और लिंग पर रगड़ा और अपनी जेब में ठूंस लिया. 
म्यूज़िक फिर शुरू हो गया और लोग उसके(uske) रुकने का बेसब्री से इंतज़ार करने लगे. आखिर स्टेज गरम हो गया था… शराब, दौलत, संगीत और पर-स्त्री के चीर-हरण से मर्दों की मदहोशी बुलंदी पर पहुँच रही थी. आखिर संगीत रुका और “चौधरी साब… घाघरा” की घोषणा से कमरा गूँज गया. 
60 वर्षीय चौधरी साब लक्की की बगल से उठे और दो लड़कियों के हाथ के सहारे सीढ़ियाँ चढ़ते हुए स्टेज पर आ गए. मैंने अकस्मात झुक कर उनके पांव छू लिए… आखिर वे मेरे पिताजी से भी ज्यादा उम्र के थे… वे तनिक ठिठके और फिर मुझे झुक कर उठाने लगे… उठाते वक्त उन्होंने मुझे मेरी कमर से पकड़ा और जैसे जैसे मैं खड़ी होती गई उनके फैले हुए हाथ मेरी कमर से रेंगते हुए मेरी बगल, पेट-पीठ को सहलाते हुए मेरे गालों पर आकर रुक गए. मेरा माथा चूमते हुए मुझे गले लगा लिया और “तुम्हारी जगह मेरे पैरों में नहीं… मेरी गोदी में है !” कहकर अपना राक्षसी रूप दिखा दिया. 
मुझे उनसे ऐसी उम्मीद नहीं थी… पर मैं भी कितनी भोली थी… अगर नेताजी ऐसे नहीं होते तो यहाँ क्यों आते? फिर उन्होंने मेरी एक परिक्रमा करके मेरा मुआयना किया… उनकी नज़रें पतली सी ब्रा में क़ैद मेरे खरबूजों पर रुकीं और उनकी आँखें चमक उठीं. 
” भई लक्की… तुम्हारा भी जवाब नहीं … क्या चीज़ लाये हो !” फिर वे घाघरे का नाड़ा ढूँढने के बहाने मेरे पेट पर हाथ फिराने लगे और अपनी उँगलियाँ पेट और घाघरे के बीच घुसा दीं. 
स्टेज के नीचे हुड़दंग होने लगा… लोग बेताब हो रहे थे… पर नेताजी को कोई जल्दी नहीं थी. बड़ी तसल्ली से मुझे हर जगह छूने के बाद उन्होंने घाघरे का नाड़ा खोल ही दिया और उसको पैरों की तरफ गिराने की बजाय मेरे हाथ ऊपर करवा कर मेरे सिर के ऊपर से ऐसे निकला जिससे उन्हें मेरे स्तनों को छूने और दबाने का अच्छा अवसर मिले. लोग उत्तेजित हो रहे थे… उनकी भाषा और इशारे धीरे धीरे अश्लील होते जा रहे थे. 
मैं ब्रा और चड्डी में खड़ी थी… नेताजी ने घाघरे को भी चोली की तरह घुमा कर स्टेज के नीचे फ़ेंक दिया और किसी किस्मत वाले ने उसे लूट लिया. नेताजी के वापस जाने से गाना फिर शुरू हो गया… मैं ब्रा-चड्डी में नाचने लगी… लोगों की सीटियाँ तेज़ हो गईं ! 
जल्दी ही संगीत रुका और जैसा मेरा अनुमान था “ब्रा और चड्डी… लक्की जी” सुनकर लोगों ने खुशी से लक्की का स्वागत किया. सभी उत्सुक थे और लक्की को जल्दी जल्दी स्टेज पर जाने को उकसा रहे थे. वे मुझे पूरी तरह निर्वस्त्र देखने के लिए कौरवों से भी ज्यादा आतुर हो रहे थे. 
अब मुझे अपनी अवस्था पर अचरज होने लगा था. मैं इतने सारे पराये मर्दों के सामने पूरी नंगी होने जा रही थी पर मेरे दिल-ओ-दिमाग पर कोई झिझक या शर्म नहीं थी. कदाचित स्टेज पर आने से लेकर अब तक मुझे इतनी बार जलील किया गया था कि मैं अपने आप को उनके सामने पहले से ही नंगी समझ रही थी… अब तो फक़त आखिरी कपड़े हटाने की देर थी. जैसे किसी बूचड़खाने में देर तक रहने से वहां की बू आनी बंद हो जाती है, मेरा अंतर्मन भी नग्नता की लज्जा से मुक्त सा हो गया था. अब कुछ बचा नहीं था जिसे मैं छुपाना चाहूँ…
मैं विमूढ़ सी वहां खड़ी खड़ी उन भेड़ीये स्वरूपी आदमियों का असली रूप भांप रही थी. कुछ ही समय में, तालियों की गड़गड़ाहट के बीच, आज रात का हीरो और इन कुटिल गिद्धों का राजा-गिद्ध स्टेज पर एक विजयी और बहादुर योद्धा की तरह आ गया. 
उसने(usne) स्टेज पर से अपने सभी दोस्तों का अभिवादन किया अपने हाथों से उन्हें धीरज रखने का संकेत किया. कुछ लोग शांत हुए तो कुछ और भी चिल्लाने लगे ! 
मदहोशी सर चढ़कर बोल रही थी…” थैंक यू… थैंक यू… तो क्या तुम सब तैयार हो?” लक्की ने अब तक का सबसे व्यर्थ सवाल पूछा. सबने सर्वसम्मत आवाज़ से स्वीकृति और तत्परता का इज़हार किया. 
अचानक उसके(uske) दोस्तों ने उसका नाम लेकर चिल्लाना शुरू किया ” म… हेश… म… हेश… म… हेश…” मानो वह कोई बहुत बहादुरी का काम करने जा रहा था और उसे उनके प्रोत्साहन की ज़रूरत थी. लक्की मेरे पास आया और अब तक के मेरे व्यवहार और सहयोग के लिए मुझे आँखों ही आँखों में प्रशंसा दर्शाई. 
मुझे इस अवस्था में भी उसका अनुमोदन अच्छा लगा. फिर उसने(usne) अपनी तर्जनी उंगली मेरी पीठ पर रख कर इधर-उधर चलाया जैसे कि कोई शब्द लिख रहा हो… फिर वही उंगली चलता हुआ वह सामने आ गया और मेरे पेट और ब्रा के ऊपर अपने हस्ताक्षर से करने लगा. सच कहूँ तो मुझे गुदगुदी होने लगी थी और मुझे उसका यह खेल उत्सुक कर रहा था.फिर उसने(usne) अपनी उंगली हटाई और अपने होठों से मुझे जगह जगह चूमने लगा… नाभि से शुरू होते हुए पेट और फिर ब्रा में छुपे स्तनों को चूमने के बाद उसने(usne) मेरी गर्दन और होठों को चूमा और फिर घूम कर मेरी पीठ पर वृत्ताकार में पप्पियाँ देने लगा… उसकी(uski) जीभ रह रह कर किसी सर्प की भांति, बाहर आ कर मुझे छू कर लोप हो रही थी. 
मैं गुदगुदी से कसमसाने लगी थी…
उधर लोगों का शोर बढ़ने लगा था. फिर उसने(usne) अचानक अपने दांतों में मेरी ब्रा की डोरी पकड़ ली और उसे धीरे धीरे खींचने लगा. जब मैं उसके(uske) खींचने के कारण उसकी(uski) तरफ आने लगी तो उसने(usne) मुझे अपने हाथों से थाम दिया. आखिर डोरी खुल गई और आगे से मेरी ब्रा नीचे को ढलक गई… मेरे हाथ स्वभावतः अपने स्तनों को ढकने के लिए उठ गए तो लोगों का जोर से प्रतिरोध में शोर हुआ. मैंने अपने हाथ नीचे कर लिए और मेरे खुशहाल मम्मे उन भूखे दरिंदों के सामने पहली बार प्रदर्शित हो गए. कमरे में एक ऐसी गूँज हुई मानो जीत के लिए किसी ने आखिरी गेंद पर छक्का जमा दिया हो ! 
मुझे यह जान कर स्वाभिमान हुआ कि मेरा शरीर इन लोगों को सुन्दर और मादक लग रहा था. इतने में लक्की सामने आ गया और मुंह में ब्रा लिए लिए मेरे चेहरे और छाती पर अपना मुँह रगड़ने लगा. ऐसा करते करते न जाने कब उसने(usne) मुँह से ब्रा गिरा दी और मेरे स्तनों को चूमने-चाटने लगा. बाकी मर्दों पर इसका खूब प्रभाव पड़ रहा था और वे झूम रहे थे और ना जाने क्या क्या कह रहे थे. 
मेरे वक्ष को सींचने के बाद लक्की का मुँह मेरे पेट से होता हुआ नाभि और फिर उसके(uske) भी नीचे, चड्डी से सुरक्षित, मेरे योनि-टीले पर पहुँच गया. दरिंदों ने एक बार और अठ्ठहास लगा कर लक्की का जयकारा किया. लक्की मज़े ले रहा था और उसे अपने चेले-दोस्तों का चापलूसी-युक्त व्यवहार अच्छा लग रहा था. नेताजी, थानेदार साब, रवि और अशोक एक एक लड़की के साथ चुम्मा-चाटी में लगे हुए थे तो कुछ बेशर्मी से पैन्ट के बाहर से ही अपना लिंग मसल रहे थे. 
लक्की ने मेरी नाभि में जीभ गड़ा कर गोल-गोल घुमाई और फिर चड्डी के ऊपर से मेरी योनि-फांक को चीरते हुए ऊपर से नीचे चला दी. मैं उचक सी गई… गुदगुदी तीव्र थी और शायद आनन्ददायक भी. मुझे डर था कहीं मेरी योनि गीली ना हो जाये. 
लक्की के करतब जारी रहे. एक निपुण चोद्दा (जो चोदने में माहिर हो) की तरह उसे स्त्री के हर अंग का अच्छा ज्ञान था… कहाँ दबाव कम तो कहाँ ज्यादा देना है… कहाँ काटना है और कहाँ पोला स्पर्श करना है… वह अपने मुँह से मेरे बदन की बांसुरी बजा रहा था… और इस बार तो दर्शकों के साथ मुझे भी आनन्द आ रहा था. 
एकाएक उसने(usne) मेरी चड्डी के बाईं तरफ की डोरी मुँह से पकड़ कर खींच दी और झट से दाहिनी ओर आकर वहां की डोरी मुँह में पकड़ ली. बाईं तरफ से चड्डी गिर गई और उस दिशा से मैं नंगी दिखने लगी थी. स्टेज के नीचे भगधड़ सी मची और जो लोग गलत जगह खड़े थे दौड़ कर स्टेज के नजदीक आ गए. सभी मेरी योनि के दर्शन करना चाहते थे … स्टेज के नीचे से ऊओऊह… वाह वाह… आहा… सीटियों और तालियों की आवाजें आने लगीं. तभी लक्की ने दाहिनी डोर भी खींच दी और मेरा आखरी वस्त्र मेरे तन से हर लिया गया. 
मैं पूर्णतया निर्वस्त्र स्टेज पर खड़ी थी… लक्की ने एक हीरो की तरह स्टेज पर अपनी मर्दानगी की वाहवाही और शाबाशी स्वीकार की और स्टेज से नीचे आ गया. 
उसके(uske) नीचे जाते ही म्यूज़िक फिर से बजने लगा और धीरे धीरे लोग स्टेज पर नाचने के लिए आने लगे. वे उन चारों लड़कियों को भी स्टेज पर ले आये और कुछ ने मिलकर उनका भी वस्त्र-हरण कर दिया. अब हम पांच नंगी लड़कियां उन 8-10 मर्दों के बीच फँसी हुई थीं. वे बिना किसी हिचक के किसी भी लड़की को कहीं भी छू रहे थे. बस लक्की, नेताजी और थानेदार साब स्टेज पर नहीं आये थे. 
अब लोग अपने ग्लास से लड़कियों को ज़बरदस्ती शराब पिलाने की कोशिश कर रहे थे… कुछ पी रही थीं तो कुछ को जबरन पिलाया जा रहा था. मेरा भी दो लड़कों ने मुँह पकड़कर खोल दिया और उसमें शराब डाल दी. मेरी खांसी निकल गई और कुछ शराब मैंने उगल दी तो कुछ हलक से नीचे उतर गई. 
हम लड़कियों के शरीर पर दर्जनों हाथ रेंग रहे थे… कोई दबा रहा था तो कोई च्यूंटी काट रहा था… कोई इधर उधर चूम रहा था. अचानक, हमारे ऊपर पानी की बौछार शुरू हो गई… मैंने अचरज में ऊपर देखा तो पता चला कि पूरे स्टेज के ऊपर बड़े बड़े शावर लगे हुए हैं जिनमें से पानी बरस रहा था. स्टेज पर पानी के बहने का पूरा प्रबंध था जिससे सारा पानी नालियों द्वारा बाहर जा रहा था. मैं इस प्रबंध से प्रभावित हुई…
अचानक गीले होने से आदमियों में हडकंप मचा और कुछ स्टेज से भाग गए… कुछ जिंदादिल लोग गीले होने का मज़ा उठाने लगे. उनमें से एक ने अपने कपड़े उतारने शुरू किये और देखते ही देखते वह सिर्फ चड्डी में नाच रहा था. उसकी(uski) देखा-देखी कुछ और लोग भी नंगे होने लगे. नंगी लड़कियों के साथ बारिश का मज़ा बहुत कम लोगों को नसीब होता है… लड़कियाँ भी अब मस्त सी होने लगी थीं… शायद नशा चढ़ने लगा था. 
धीरे धीरे स्टेज पर से रौशनी धीमी होने लगी और फिर बंद हो गई… कमरे की बाकी बत्तियाँ भी धीरे धीरे मद्धम होने लगीं. अब तो बस बारिश, नंगी लड़कियां और मदहोश अर्ध-नंगे पुरुष स्टेज पर थे. रौशनी कम होने से सब का लज्जा-भाव भी गुल हो गया था… व्यभिचार के तांडव के लिए प्रबंध पूरे लग रहे थे. 
धीरे धीरे लोग नाचने के बजाय लड़कियों को लेकर नीचे बैठने लगे… हर लड़की के साथ कम से कम दो मर्द तो थे ही. मैंने महसूस किया कि दो मर्दों ने मुझे पकड़ा… एक ने मेरे मुँह पर हाथ रख लिया जिससे में चिल्ला ना सकूँ और अँधेरे का फ़ायदा उठाते हुए दोनों मुझे घसीट कर स्टेज के पीछे एक कमरे में ले गए… मैंने देखा वहां ऐसे कई कमरे थे. अंदर ले जा कर उन्होंने कमरा अंदर से बंद कर लिया. मैंने देखा उनमें से एक रवि था जिसने मेरा गजरा उतारा था और दूसरा अशोक था जिसने मेरे कान की बालियाँ उतारीं थीं. कमरे में मैंने देखा एक बड़ा बिस्तर है और पास ही एक खुला गुसलखाना है. उन दोनों ने मुझे बिस्तर पर गिरा दिया और वहां रखे तौलियों से अपने आप को पौंछने और खुसुर-पुसुर करने लगे. 
” मुझसे गजरा निकलवाया और खुद ब्रा और चड्डी उतारता है !” रवि ने गुस्से में कहा. 
” साला हर बार हमें बचा-कुचा ही खाने को मिलता है.” अशोक बोला. 
” सबसे बढ़िया माल पहले खुद चोदेगा और बाद में हमारे लिए छोड़ देगा… जैसे हम उसके(uske) गुलाम हैं !!” 
” आज इस साली को पहले हम चोदेंगे… जो होगा सो देखा जायेगा !” अशोक ने निर्णय लिया. 
” अगर लक्की ने पकड़ लिया तो?” रवि ने चिंता जताई. 
” अबे हम कोई उसके(uske) नौकर थोड़े ही हैं… हमें दोस्त कहता है… साला खुद तो मरियल है… हमारे बल-बूते पर अपना राज चलाता है … अगर उसका बाप यहाँ का चौधरी नहीं होता तो साले को मैं अभी देख लेता !” 
मैं उनकी बातें सुनकर डर गई. 
अब तक अशोक बिल्कुल नंगा हो गया था और रवि ने कमीज़ उतार दी थी. दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा और फिर मुझे. उन्होंने फिर से एक दूसरे की तरफ देखा और कोई इशारा किया… यौन के मिलेजुले आवेश से उसका लिंग एक दम तना हुआ था. वह बिना किसी भूमिका के अपना लंड मेरी चूत में डालने की कोशिश करने लगा. मैं अपने आप को इधर-उधर हिला रही थी… उसने(usne) मेरे चूतड़ की बगल में एक ज़ोरदार चांटा मारा जिससे पूरा कमरा गूँज गया… मेरे मुँह से आह निकल गई. 
” साली नखरे करती है…” कहते हुए उसने(usne) चूतड़ पर चपत लगानी जारी रखी और अपने दांतों से मेरे चूचक काटने लगा. लगातार चूतड़ पर एक ही जगह जोर से चपत लगने से मेरा वह हिस्सा लाल और संवेदनशील हो गया और उसके(uske) दांत मेरे कोमल स्तन और चूचियों को काट रहे थे. मेरी चीखें निकलने लगीं…
” अबे रवि… साले क्या कर रहा है… यहाँ आ?” अशोक ने रवि की मदद सी मांगी. 
रवि उठा और पहले उसने(usne) अपनी पैंट और चड्डी उतारी और फिर अशोक को उकसाता हुआ बोला ” क्यों तुझसे नहीं संभल रही… साले मर्द का बच्चा नहीं है क्या?” और उसने(usne) मेरी दोनों टाँगें पकड़ लीं और उन्हें एक ही झटके में पूरी चौड़ी कर दीं. इतनी बेरहमी से उसने(usne) मेरी टांगें फैलाईं थीं कि मुझे लगा शायद चिर ही गई होंगी. अशोक को बस इतनी ही मदद की ज़रूरत थी उसने(usne) मेरी सूखी चूत पर अपने उफनते नाग से हमला कर दिया. सूखी चूत से उसके(uske) लंड को भी तकलीफ हुई और उसने(usne) मेरी योनि-द्वार पर अपना थूक गिरा कर उसे गीला कर दिया. अब उसने(usne) लंड के सुपारे से मेरा चूत-छेद ढूंढा और उसे वहां टिका कर एक जोर का धक्का मार दिया. मेरी चूत लगभग कुंवारी ही थी और उसपर इस प्रकार का निर्दयी प्रहार पहले कभी नहीं हुआ था. बेचारी दर्द िसे कुलबुला गई और मैं तड़प के चिल्ला उठी. लंड करीब एक इंच ही अंदर गया होगा पर मेरी दुनिया मानो हिल सी गई थी. 
रवि मेरी टाँगें सख्ती से पकड़े हुआ था… मैं उन दो मर्दों की जकड़ में हिल-डुल भी नहीं पा रही थी. मेरा दम घुट रहा था पर मेरी अवस्था और मासूम चूत उन्हें और भी जोश दिला रही थी… अशोक ने लंड थोड़ा बाहर निकाला और एक बार फिर जोर से अंदर ठूंसने का वार किया. दर्द से मेरी फिर से चीख निकली और उसका लंड करीब तीन-चौथाई अंदर घुस गया. यह सब देखकर रवि का लंड भी तन्ना रहा था… वह अपनी बारी के लिए बेचैन लग रहा था. अशोक ने लंड थोड़ा पीछे खींच कर एक बार और पूरे जोर से अंदर पेल दिया और मेरी एक और चीख के साथ उसके(uske) लंड का मूठ मेरी चूत की फांकों के साथ टकरा गया. उसकी(uski) इस फतह के साथ ही अशोक ने मेरी चुदाई शुरू की. मेरी चूत पर विजय पाने के बाद वह अपनी जीत का मज़ा ले रहा था… जोर जोर से चोद रहा था. 
” यार कुछ भी कह ले… लड़की को चोदने का मज़ा तभी ज्यादा आता है जब वह चोदने में आनाकानी करे !” अशोक रवि को बोला. 
” अबे… सारे मज़े तू ही लेगा या मुझे भी लेने देगा…” रवि बेताब हो रहा था और अपने लंड को सहला रहा था… मानो उसे धीरज धरने को कह रहा हो. 
” तू किस का इंतज़ार कर रहा… तू भी शुरू हो जा !” अशोक ने सुझाव दिया. 
” मतलब?” 
” मतलब क्या… क्या तूने कभी गांड नहीं मारी? जिसकी चूत इतनी टाईट है उसकी(uski) गांड कितनी टाईट होगी साले !!” 
” वाह ! क्या मज़े की बात कही है !” रवि के मुँह से लार सी टपकने लगी. 
रवि उत्साह से बोला और फिर अशोक को मेरे ऊपर से पलट कर मुझे ऊपर और उसको नीचे करने का प्रयास करने लगा. अशोक ने उसका सहयोग किया और मेरी चुदाई रोक कर मेरी जगह पीठ पर लेट गया और मुझे अपनी तरफ मुँह करके अपने ऊपर लिटा लिया… मेरे मम्मे उसके(uske) सीने को लग रहे थे. तभी झट से रवि पीछे से मेरे ऊपर आ गया और अपना लंड हाथ में पकड़ कर मेरी गांड पर लगाने लगा. 
” अबे रुक… थोड़ा सब्र कर… पहले मेरा लंड तो इसकी चूत में घुस जाने दे…” अशोक ने रवि को नसीहत दी. रवि पीछे हट गया. अब अशोक फिर से मेरी चूत में अपना लंड घुसाड़ने के प्रयास में लगा गया. मेरी तरफ से कोई सहयोग नहीं होने से दोनों ने मेरे चूतड़ों पर एक एक जोर का तमाचा लगा दिया जिससे मेरे पहले से नाज़ुक चूतड़ तिलमिला उठे. मैंने अपने कूल्हे उठा कर अशोक के लंड के लिए जगह बनाईं पर उसका मुसमुसाया लंड चूत में नहीं घुस पा रहा था. अशोक ने मेरे कन्धों पर नीचे की ओर धक्का देते हुए मुझे नीचे खिसका दिया और अपने अधमरे लंड को मेरे मुँह में डालने लगा. 
” चूस साली… !!” और मेरे चूतड़ पर एक ओर तमाचा रसीद कर दिया.मुझे उसके(uske) लंड को मुँह में लेना ही पड़ा. पता नहीं मर्दों को लंड चुसवाने से ज्यादा जोश आता है या फिर लड़की के चूतड़ पर मारने से… पर अशोक का लंड कुछ ही देर में चूत-प्रवेश लायक कड़क हो गया. उसने(usne) मुझे ऊपर के ओर खींचा और बिना विलम्ब के लंड अंदर डाल दिया… एक दो धक्कों के बाद उसने(usne) मूठ तक लंड अंदर ठोक दिया. 
” ओके… अब मैं तैयार हूँ.” अशोक ने रवि को ऐसे कहा मानो रवि उसकी(uski) गांड मारने जा रहा था. मुझसे किसी ने नहीं पूछा…
रवि अपने लंड को कड़क रखने के लिए सहलाए जा रहा था पर मेरी गांड मारने की उत्सुकता में उसे ऐसा करने की ज़रूरत नहीं थी. उसने(usne) मेरे पीछे आ कर स्थिति का मुआइना किया. मैं अशोक पर औंधी पड़ी थी… उसकी(uski) टांगें घुटनों से मुड़ी हुई मेरी कमर के दोनों तरफ थीं और हम बिस्तर के बीचों-बीच थे. ऐसी हालत में रवि मेरी गांड नहीं मार सकता था. 
” तुझे नीचा होना पड़ेगा… बिस्तर के किनारे पर…” रवि ने अशोक को बताया और फिर उसकी(uski) दोनों टांगें पकड़ कर उसे बिस्तर के किनारे की तरफ खींचने लगा. मैं उससे ठुसी हुई उसके(uske) साथ साथ नीचे की ओर खिंचने लगी. रवि ने अशोक के पैर बिस्तर के किनारे ला कर नीचे लटका दिए जिससे उसके(uske) पैर ज़मीन पर टिक गए… मेरे पैर भी ज़मीन से थोड़ी ऊपर लटक गए. अशोक के चूतड़ बिस्तर के किनारे पर थे. रवि ने अब अशोक के चूतड़ के नीचे तकिये लगा कर हम दोनों को थोड़ा ऊंचा कर दिया. अब रवि संतुष्ट हुआ क्योंकि उसने(usne) मेरी गांड की ऊंचाई ऐसे कर दी थी कि खड़े-खड़े उसका लंड मेरी गांड के छेद पर आराम से पहुँच रहा था. उसने(usne) झुक कर मेरी टांगें पूरी चौड़ी कर दीं. मैंने विरोध में अपनी टांगें जोड़नी चाहीं तो उसने(usne) एक जोर का चांटा मेरे कूल्हों और पीठ पर मारा और झटके के साथ मेरी टांगें फिर से खोल दीं. 
रवि के चांटे की आवाज़ से अशोक को उत्तेजना मिली. उसका लंड और कड़क होकर मेरी चूत में ठुमकने लगा. रवि अपना सुपारा मेरी गांड के छेद पर सिधा रहा था और अशोक के ठुमकों के कारण मेरी गांड हिल रही थी. ” अबे रुक… मुझे निशाना तो साधने दे ! एक बार इसकी गांड में घुस जाऊं फिर जी भर के चोद लेना !!” रवि ने अशोक को आदेश दिया. 
” ओह… ठीक है !” कहकर अशोक एक अच्छे बच्चे की तरह निश्चल हो गया. 
अब रवि ने मेरी गांड के छेद पर अपना लार से सना थूक गिराया और अपने सुपारे पर भी लगाया. फिर उंगली से मेरे छेद के अंदर-बाहर थूक लगा दिया. अब वह छेद पर सुपारा टिका कर अंदर डालने के लिए जोर लगाने लगा. मुझे बहुत दर्द हुआ तो मेरे मुँह से चीख निकलने लगी और मेरे ढूंगे अपने आप इधर-उधर हिलने लगे. इससे अशोक को मज़ा आया क्योंकि उसका लंड मेरी चूत में डगमगाया पर इससे रवि को गुस्सा आया क्योंकि उसका निशाना लगने से चूक गया. उसने(usne) एक जोरदार तमाचा मेरे चूतड़ पर मारा और गुर्राते हुए बोला,” साली मटक मत… गांड मारने दे नहीं तो तेरी गांड मार दूंगा !!” 
फिर अपनी बेतुकी बात पर खुद ही हँस पड़ा. अशोक भी हंसा और उसके(uske) हँसने से उसका लंड मेरी चूत में थर्राया. हालांकि मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था पर मेरी चूत पर अकस्मात लंड के झटके मुझे गुदगुदी करने लगे थे. अब रवि ने फिर से मेरी गांड अपने थूक से गीली की और इस बार पूरे निश्चय के साथ लंड गांड में घुसाने के लिए जोर लगा दिया. उसका सुपारा मेरी गांड के छल्ले में फँस गया और मेरी जान निकल गई. मुझे बहुत गहरा और पैना दर्द हुआ… मुझे लगा उसने(usne) मेरी गांड चीर दी है और निश्चय ही वहां से खून निकल रहा होगा. मैंने घबरा के पीछे मुड़ के देखना चाहा तो अशोक ने मेरे गाल पर चूम लिया और मुझे कन्धों से जकड़ कर पकड़ लिया. वह भी रवि का लंड जल्दी से मेरी गांड में घुसवाना चाहता था जिससे वह भी चुदाई शुरू कर सके. 
रवि ने भी जल्दी से लंड पीछे खींच कर एक ज़ोरदार झटका और मार दिया और उसका लंड काफी हद तक मेरी गांड में घुस गया. मैं दर्द के मारे उचक गई और मेरे पेट से एक गहरी चीख निकल गई. उस धक्के के कारण मैं थोड़ा आगे को हो गई जिससे अशोक का लंड मेरी चूत से थोड़ा बाहर हो गया… तो अशोक ने मेरे कन्धों को नीचे दबाते हुए अपने कूल्हे ऊपर को उचकाए और अपना लंड पूरा चूत में घुसा दिया. इस नीचे की तरफ के धक्के से रवि को भी फायदा हुआ और उसका लंड मेरी गांड में और ज्यादा घुस गया. मैं दर्द से तिलमिला रही थी और मेरी दर्दभरी चीखें उन्हें और भी प्रोत्साहित और उत्तेजित कर रहीं थीं. उनके लंड मानो मेरी चीखों से और भी कड़क हो रहे थे. 
रवि ने अपना लंड बाहर की ओर खींचा तो मेरी गांड उसके(uske) साथ साथ पीछे आई और अशोक का लंड चूत में पूरा घुस गया… जब रवि ने गांड के अंदर लंड पेलने के लिए आगे को धक्का दिया तो अशोक का लंड थोड़ा बाहर आ गया… अब उसने(usne) अंदर डालने को धक्का लगाया तो गांड से रवि का लंड थोड़ा बाहर आ गया. 
उनका इस तरह परस्पर धक्का मारना उनके लिए परस्पर चुदाई का जरिया बन गया. रवि धक्का मारता तो अशोक का लंड बाहर आ जाता और जब अशोक धक्का मारता तो रवि का लंड बाहर आ जाता. उनकी धक्का-मुक्की में अशोक और मैं धीरे धीरे बिस्तर के किनारे से खिसकते खिसकते बिस्तर के बीच में आ गए थे. रवि अब खड़े हो कर नहीं बल्कि मेरे ऊपर लेटकर मेरी गांड मार रहा था. वह मुझे ऊपर से नीचे दबाकर गांड में लंड पेलता तो अशोक अपने कूल्हे ऊपर उठा कर मुझे चोदता. दोनों एक लय में अपने आप को और एक-दूसरे को मज़े दिला रहे थे. बस मैं उन दोनों के बीच में पिस सी रही थी. 
मैंने महसूस किया कि मेरी गांड का दर्द बहुत कम हो गया था… मेरी गांड ने रवि के लंड को अपने अंदर एक तरह से मंज़ूर कर लिया था… बस गांड सूखी हो जाती थी तो रवि अपनी लार टपका कर उसे गीला कर देता. उधर मेरी चूत अशोक के निरंतर धक्कों से उत्तेजित हो रही थी, मेरे शरीर को अब धीरे धीरे भौतिक सुख का आभास होने लगा था. शायद मुझे अपनी अवस्था से समझौता सा हो गया था… जितना हंसी-खुशी से झेला जाए उतना ही अच्छा है. अशोक और रवि वैसे तो असीम आनन्द प्राप्त कर रहे थे क्योंकि वे पहली बार किसी लड़की की चूत और गांड एक साथ मार रहे थे, पर ऐसा करने में वे बहुत छोटे धक्के लगाने पर मजबूर थे. दोनों को डर था कि जोश में आकर उनमें से किसी एक का भी लंड बाहर नहीं आ जाना चाहिए वरना दोबारा अंदर डालने में तीनों को काफी मशक्क़त करनी पड़ती. अब जैसे जैसे दोनों मैथुन की चरम सीमा पर पहुँचने वाले थे उन्हें लंबे और ज़ोरदार झटके देने का जी करने लगा. 
“ यार ! तू थोड़ी देर रुक जा… मैं होने वाला हूँ… मैं अच्छे से इसकी गांड मार लूं… मेरे बाद तू इसको जोर से चोद लेना !!” रवि ने अशोक से आग्रह किया. 
“ ठीक है… तू मज़े ले ले !” कहकर अशोक ने अपनी हरकतें बंद कर दीं और अपने हाथों से मेरे मम्मे और चूचियों को प्यार से सहलाने लगा. जब से मेरी दुर्गति शुरू हुई थी इन दोनों में से पहली बार किसी ने मेरे शरीर को प्यार से छुआ था. मुझे अशोक के प्यारे स्पर्श ने राहत सी दी. रवि ने अब पूरे वेग से मेरी गांड पर वार करने शुरू किये. जहाँ अब तक उसका लंड एक इंच से ज्यादा हरकत नहीं कर रहा था… अब वह अपना स्ट्रोक बढ़ाने लगा. उसने(usne) एक बार फिर अपनी लार से अपने लंड को सना दिया और फिर लगभग पूरा लंड अंदर-बाहर करने लगा. 
मुझे आश्चर्य इस बात का था कि मुझे रवि के ज़ोरदार धक्के अब मज़ा दे रहे थे पर मैंने अपनी खुशी ज़ाहिर नहीं होने दी. रवि के लगातार प्रहार से अगर अशोक का लंड चूत से बाहर निकलने लगता तो अशोक एक दो छोटे धक्के मार कर अपने लंड को फिर से पूरा अंदर घुसा लेता. 
आखिर रवि चरमोत्कर्ष को प्राप्त हो ही गया और एक ज़ोरदार आखरी वार के साथ वह मुझ पर मूर्छित हो कर गिर गया… मानो वीर-गति को प्राप्त हो गया हो. उसका हिचकियाँ सा लेता लंड मेरी गांड में गरमागरम पिचकारी छोड़ रहा था. थोड़ी देर में उसकी(uski) देह शांत हो गई और उसने(usne) अपने मायूस हो गए लिंग को मेरी गांड से बाहर निकाल लिया और खड़ा हो गया. अपने आप को गुसलखाने तक ले जाने से पहले उसने(usne) मेरी पीठ पर प्यार और आभार भरा हाथ लगा दिया. 
इधर, अशोक हरकत में आते हुए पलट कर मेरे ऊपर आ गया और अपने मुरझाते लंड को आलस से झकझोरते हुए मुझे चोदने लगा. उसका लंड अर्ध-शिथिल सा हो गया था सो उसको कड़ा होने में कुछ समय लगा पर जल्द ही वह पूरे जोश में आकर मेरी चुदाई करने लगा. वह झुक झुक कर मेरे मम्मे मुँह में ले लेता और कभी मेरे होठों को भी चूम लेता. मुझे चुदाई में मज़ा आने लगा था पर किसी भी हालत में मैं सहयोग नहीं करना चाहती थी ना ही खुशी का कोई संकेत देना चाहती थी. अशोक भी ज्यादा देर तक अपने पर नियंत्रण नहीं कर पाया और लैंगिक सुख की पराकाष्ठा पर पहुँच गया.उसका लंड वीर्योत्पात करे इससे पहले ही उसने(usne) लंड बाहर निकाला और ऊपर खिसक कर मेरे मुँह में डालने लगा. जब मैंने अपना मुँह नहीं खोला तो उसने(usne) अपनी उँगलियों से मेरी नाक बंद कर दी और मेरे एक मम्मे को जोर से कचोट दिया. मेरी चीख निकली और मेरा मुँह खुलते ही उसने(usne) अपना लंड मेरे मुँह में घुसा दिया… और एक गहरी राहत की सांस लेते हुए अपने वीर्य का फव्वारा मेरे गले में छोड़ दिया. जब तक उसके(uske) लंड ने आखरी हिचकोला नहीं ले लिया उसने(usne) अपने लंड को मेरे मुँह में दबाए रखा. फिर आनन्द से दमकती आँखें लिए वह मेरे ऊपर से उठा और मेरे दोनों मम्मों के बीच अपना सिर रख कर मुझे प्यार करने लगा. थोड़ी देर बाद दोनों मुझे गुसलखाने में ले गए और मुझे नहला कर, तौलिए में लपेट कर, बड़ी देखभाल और चिंता के साथ, जैसे डॉक्टर मरीज़ को ऑपरेशन के बाद ले जाते हैं, मुझे उसी चाची के पास ले गए जिसने मुझे दुल्हन की तरह सजाया था. 

पूनम की चूची की तड़प

हेल्लो फ्रेंड्स, ये सेक्स कहानी है पूनम की चूत की तड़प की. अपने पति के देहांत के बाद पूनम की चूत प्यासी ही रहती है और उसकी(uski) हवस बढ़ते बढ़ते उसको पागल ही कर रही है. फिह्र वो एक दिन अपनी तड़प मिटाने की ठान लेती है- 
मेरा नाम पूनम माथुर है. मेरे पति मनोज ठेकेदारी का काम करते थे. उनका ठेकेदारी का काम बेहद लंबा चौड़ा था. उनका एक मैनेजर था जिसका नाम अमित सिंह था. वो उनका दोस्त भी था और उनका सारा काम देखता था. वो हमारे घर सुबह के आठ बजे आ जाता था और नाश्ता करने के बाद मेरे पति के साथ साईट पर निकल जाता था. मैं उसे उसके(uske) नाम से हीअमित कह कर बुलाती थी और वो भीमुझे सिर्फपूनम कह कर बुलाता था. उस समय उसकी(uski) उम्र करीब तेईस साल की थी और वो दिखने में बहुत ही हैंडसम था. वो मुझसे कभी कभी मज़ाक भी कर लेता था. शादी के पाँच साल बाद मेरे पति की एक कार एक्सीडेंट में मौत हो गयी. अब उनका सारा काम मैं ही संभालती हूँ और अमित मेरी मदद करता है. 
मेरे पति बहुत ही सैक्सी थे और मैं भी. उनके गुज़र जाने के बाद करीब छः महीने तक मुझे सैक्स का बिल्कुल भी मज़ा नहीं मिला तो मैं उदास रहने लगी. एक दिन अमित ने कहा, “क्या बात है पूनम, आज कल तुम बहुत उदास रहती हो!” मैंने कहा, “बस ऐसे ही!” 
वो बोला, “मुझे अपनी उदासी की वजह नहीं बताओगी? शायद मैं तुम्हारी उदासी दूर करने में कुछ मदद कर सकूँ.” 
मैंने कहा, “अगर तुम चाहो तो मेरी उदासी दूर कर सकते हो. आज पूरे दिन काफ़ी काम है. मैं शाम को तुम्हें अपनी उदासी की वजह जरूर बताऊँगी. मेरी उदासी की वजह जान लेने के बाद शायद तुम मेरी उदासी दूर कर सको. मेरी उदासी दूर करने में शायद तुम्हें काफ़ी ज्यादा वक्त लग जाये, हो सकता है पूरी रात ही गुज़र जाये… इसलिए आज तुम अपने घर बता देना कि कल तुम सुबह को आओगे. मैं शाम को तुम्हें सब कुछ बता दुँगी!” 
वो बोला, “ठीक है.” 
हम दोनों सारा दिन काम में लगे रहे. एक मिनट की भी फुर्सत नहीं मिली. घर वापसआते-आते रात के आठ बज गये. घर पहुँचने के बाद मैंने अमित से कहा, “मैं एक दम थक गयी हूँ. पहले मैं थोड़ा गरम पानी से नहा लूँ… उसके(uske) बाद बात करेंगे… तब तक तुम हम दोनों के लिये एक-एक पैग बना लो.” 
वो बोला, “नहाना तो मैं भी चाहता हूँ. पहले तुम नहा लो उसके(uske) बाद मैं नहा लुँगा.” 
मैं नहाने चली गयी और अमित पैग बनाने के बाद बैठ कर टी.वी देखने लगा. पंद्रह मिनट बाद मैं नहा कर बाथरूम से बाहर आयी तो मैंने केवल गाऊन पहन रखा था. गाऊन के बाहर से ही मेरे सारे जिस्म की झलक एक दम साफ़ नज़र आ रही थी. अमित मुझे देखकर मुस्कुराया और बोला, “आज तो तुम बहुत सुंदर दिख रही हो.” मैं केवल मुस्कुरा कर रह गयी. 
उसके(uske) बाद अमित नहाने चला गया. मैं सोफ़े पर बैठ कर टी.वी देखते हुए अपना पैग पीने लगी. थोड़ी देर बाद अमित ने मुझे बाथरूम से ही पुकारा तो मैं बाथरूम के पास गयी और पूछा, “क्या बात है?” 
वो अंदर से ही बोला, “पूनम! मैं अपने कपड़े तो लाया नहीं था और नहाने लगा. अब मैं क्या पहनुँगा!” 
मैंने कहा, “तुम टॉवल लपेट कर बाहर आ जाओ. मैं अभी तुम्हारे लिये कपड़ों का इंतज़ाम कर दुँगी.” अमित एक टॉवल लपेट कर बाहर आ गया. मैंने कहा, “तुम बैठ कर टी.वी देखो, मैं एक-एक पैग और बना कर लाती हूँ. उसके(uske) बाद मैं तुम्हारे लिये कपड़ों का इंतज़ाम भी कर दुँगी.” वो सोफ़े पर बैठ कर टी.वी देखने लगा. मैंने व्हिस्की के दो तगड़े पैग बनाये और मैंने अमित को एक पैग दिया. वो चुप चाप सिप करने लगा. मैं भी सोफ़े पर बैठ कर पैग पीने लगी. 
अमित ने मुझसे पूछा, “अब तुम अपनी उदासी की वजह बताओ. मैं तुम्हारी उदासी दूर करने की कोशिश करूँगा.” 
मैं उठ कर अमित की बगल में बैठ गयी. फिर मैंने उसके(uske) लंड पर हाथ रख दिया और कहा, “मेरी उदासी की वजह ये है. मेरे पति को गुजरे हुए छः महीने हो गये हैं और तब से ही मैं एकदम प्यासी हूँ. वो रोज ही जम कर मेरी चुदाई करते थे. छः महीने से मुझे चुदाई का मज़ा बिल्कुल नहीं मिला है और ये कमी तुम पूरी कर सकते हो!” 
वो कुछ नहीं बोला. मैंने अमित के लंड पर से टॉवल हटा दिया. अमित का लंड एक दम ढीला था लेकिन था बहुत ही लंबा और मोटा. 
मैंने कहा, “तुम्हारा लंड तो उनके लंड से ज्यादा लंबा और मोटा लग रहा है. मुझे तुमसे चुदवाने में बहुत मज़ा आयेगा!” 
वो बोला, “मैं तुम्हें नहीं चोद सकता!” 
मैंने पूछा, “क्यों?” 
अमित ने अपना सिर झुका लिया और बोला, “मेरा लंड खड़ा नहीं होता!” 
उसकी(uski) बात सुन कर मैं सन्न रह गयी. मैंने कहा, “तुम्हारी शादी भी तो दो महीने पहले हुई है!” 
वो बोला, “मेरा लंड खड़ा नहीं होता इसलिए वो अभी तक कुँवारी ही है. मेरी बीवी मुझसे इसी वजह से बेहद खफ़ा रहती है. वो कहती है कि जब तुम्हारा लंड खड़ा नहीं होता था तो तुमने मुझसे शादी क्यों की!” 
मैंने अमित से कहा, “ठीक है, जब मैं अपने लिये कोई अच्छा सा मर्द ढूँढ लुँगी जिसका लंड खूब लंबा और मोटा हो और जो खूब देर तक मेरी चुदाई कर सके… उसके(uske) बाद तुम एक दिन अपनी बीवी को भी यहाँ बुला लाना, मैं तुम्हारी बीवी को भी उससे चुदवा दुँगी. इस तरह तुम्हारी बीवी सुहागरात भी मना लेगी और उसे चुदवाने का पूरा मज़ा आ जायेगा. उसके(uske) बाद वो तुमसे कभी खफ़ा नहीं रहेगी. क्यों ठीक है ना?” 
अमित बोला, “क्या तुम सही कह रही हो कि वो फिर मुझसे खफ़ा नहीं रहेगी?” 
मैंने कहा, “हाँ… मैं एक दम सच कह रही हूँ लेकिन जब तुम अपनी बीवी को यहाँ लाना तो उसे कुछ भी मत बताना!” 
अमित बोला, “ठीक है!” 
दूसरे दिन मैं अमित के साथ एक साईट पर गयी. वो साईट मेरे घर से करीब करीब अस्सी किलोमीटर दूर थी. उस साईट पर करीब चालीस मज़दूर काम करते थे. उस साईट का मैनेजर उन सब को पैसे दे रहा था. सारे मज़दूर लाईन में खड़े थे. मैं मैनेजर की बगल में एक कुर्सी पर बैठ गयी. सभी ने निक्कर और बनियान पहन रखा था. मैं निक्कर के ऊपर से ही उन सबके लंड का अंदाज़ लगाने लगी. 
जब मैनेजर करीब बीस-पच्चीस मज़दूरों को पैसे दे चुका तो मेरी नज़र एक मज़दूर के लंडपर पड़ी. मैंने निक्कर के बाहर से ही अंदाज़ लगा लिया कि उसका लंड कमज़कम आठ-दस इंच लंबा और खूब मोटा होगा. उसकी(uski) उम्र करीब बाईस-तेईस साल की रही होगी और जिस्म एक दम गठीला था. मैंने उस मज़दूर से पूछा, “क्या नाम है तुम्हारा!” 
वो बोला, “मेरा नाम राजू है!” 
मैंने पूछा, “तुम्हारे कितने बच्चे हैं?” 
वो शर्माते हुए बोला, “मालकिन, अभी तक मेरी शादी नहीं हुई है!” 
मैंने कहा, “मुझे अपने घर के लिये एक आदमी की ज़रूरत है. मेरे घर पर काम करोगे?” 
वो बोला, “आप कहेंगी तो जरूर करूँगा!” 
मैंने अमित से कहा, “इसे घर का काम करने के लिये रख लो!” 
अमित समझ गया और बोला, “ठीक है!” 
अमित ने उस मज़दूर से कहा, “राजू तुम घर जा कर बता दो और अपना सामान ले आओ. आज से तुम मैडम के घर पर काम करोगे.” 
वो बोला, “जी साहब!” 
वो अपने घर चला गया. करीब एक घंटे के बाद वो वापस आ गया. उसके(uske) बाद हम सब कार से घर वापस चल पड़े. रात के आठ बजे हम सब घर पहुँचे. मैंने राजू को घर का सारा काम समझा दिया और उसे ड्राईंग रूम में सोने के लिये कह दिया. घर में केवल एक ही बाथरूम था इसलिए मैंने राजू से कहा, “घर में केवल एक ही बाथरूम है. तुम इसी बाथरूम से काम चला लेना.” वो बोला, “ठीक है मालकिन.” 
मैंने कहा, “घर पर मुझे मालकिन कहलाना पसंद नहीं है. तुम मुझे मेरे नाम से ही बुलाया करो.” 
वो बोला, “ठीक है मालकिन!” 
मैंने उसे डाँटा और कहा, “मालकिन नहीं… पूनम कह कर बुलाओ.” 
वो बोला, “ठीक है पूनम जी.” 
मैंने कहा, “पूनम जी नहीं, सिर्फ पूनम.” 
वो शरमाते हुए बोला, “ठीक है पूनम!” 
मैंने कहा, “लग रहा है कि तुमने बहुत दिनों से नहाया नहीं है. मैं तुम्हें एक साबुन दे देती हूँ, तुम बाथरूम में जा कर ठीक से नहा लो!” 
राजू बोला, “ठीक है!” 
मैंने राजू को एक खुशबूदार साबुन दे दिया तो वो नहाने चला गया. थोड़ी देर बाद राजू नहा कर बाहर आया. अब उसका सारा जिस्म एक दम खिल उठा था और महक भी रहा था. वो पैंट और शर्ट पहनने लगा तो मैंने कहा, “घर में पैंट शर्ट पहनने की कोई जरूरत नहीं है. तुम निक्कर और बनियान में ही रह सकते हो!” 
अमित बोला, “मैं घर जा रहा हूँ!” 
मैंने कहा, “ठीक है. मुझे भी एक पार्टी में जाना है अभी… पर कल मैं कहीं नहीं जाऊँगी. अब तुम परसों सुबह आना!” 
अमित ने मुस्कुराते हुए कहा, “ठीक है. मैं कल नहीं आऊँगा.” 
उसके(uske) बाद अमित चल गया और मैं भी तैयार होके पार्टी में चली गयी. रात के दस बजे मैं पार्टी से वापस लौटी. मैंने पार्टी में ड्रिंक की थी इसलिए मैं कुछ नशे में थी. मैंने बेडरूम में जा कर पैंटी और ब्रा छोड़ कर सारे कपड़े उतार दिये और नशे की हालत में सैंडल पहने ही बेड पर पसर गयी. उसके(uske) बाद मैंने राजू को पुकारा. वो मेरे पास आया और बोला, “क्या है?” मैंने कहा, “मैंने पार्टी में कुछ ज्यादा ही पी ली और मेरा सारा जिस्म टूट रहा है. तुमथोड़ा सा तेल लगा कर मेरे सारे जिस्म की मालिश कर दो.” 
वो बोला, “आप मुझसे मालिश करवायेंगी?” 
मैंने कहा, “शहर में ये सब आम बात है. गाँव की तरह यहाँ की औरतें शरम नहीं करतीं. तुम ड्रेसिंग टेबल से तेल की शीशी ले आओ और मेरे जिस्म की मालिश करो!” 
वो ड्रेसिंग टेबल से तेल की शीशी ले आया तो मैंपेट के बल लेट गयी. वो घूर-घूर कर मेरे गोरे जिस्म को देखने लगा. 
उसकी(uski) निगाहों में भी सैक्स की भूख साफ़ नज़र आ रही थी. मैंने कहा, “क्या देख रहे हो. चलो मालिश करो.” 
वो शर्माते हुए मेरी बगल में बेड पर बैठ गया. मैंने कहा, “पहले मेरी पीठ और कमर की मालिश करो.” 
वो मेरी पीठ की मालिश करने लगा. उसका हाथ बार-बार मेरी ब्रा में फँस जाता था. मैंने कहा, “तुम्हारा हाथ बार-बार मेरी ब्रा में फँस रहा है. तुम इसे खोल दो और ठीक से मालिश करो.” 
उसने(usne) मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और मालिश करने लगा. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. मैंने कहा, “और नीचे तक मालिश करो.” 
वो और ज्यादा नीचे तक मालिश करने लगा. अभी उसका हाथ मेरे चूत्तड़ पर नहीं लग रहा था. 
मैंने कहा, “थोड़ा और नीचे तक मालिश करो.” 
वो शर्माते हुए और नीचे तक मालिश करने लगा. जब उसका हाथ मेरी पैंटी को छूने लगा तो मैंने कहा, “पैंटी को भी थोड़ा नीचे कर दो फिर मालिश करो.” 
उसने(usne) मेरी पैंटी को भी थोड़ा सा नीचे कर दिया. अब मेरे आधे चूत्तड़ उसे नज़र आने लगे. वो बड़े प्यार से मेरे चूत्तड़ों की मालिश करने लगा. थोड़ी देर बाद वो मेरे दोनों चूत्तड़ों को हल्का-हल्का सा दबाने लगा. मुझे बहुत मज़ा आने लगा. थोड़ी देर तक मालिश करवाने के बाद मैंने कहा, “अब तुम मेरे हाथों की मालिश करो.” 
मैंने जानबूझ कर अपनी ब्रा को नहीं पकड़ा और पलट कर पीठ के बल लेट गयी. मेरी ब्रा सरक गयी और उसने(usne) मेरी दोनों चूचियों को साफ़ साफ़ देख लिया. वो मुस्कुराने लगा तो मैंने तुरंत ही अपनी ब्रा से अपनी चूचियों को ढक लिया लेकिन उसका हुक बँद नहीं किया. वो मेरे हाथों की मालिश करने लगा. मेरी ब्रा बार-बार सरक जा रही थी और मैं बार-बार उसे अपनी चूचियों पर रख लेती थी. जब वो मेरे हाथ की मलिश कर चुका तो मैंने कहा, “अब तुम मेरी टाँगों की मालिश कर दो.” 
वो घुटने के बल बैठ कर मेरी टाँगों की मालिश करने लगा. उसने(usne) मेरे सैंडल उतारने की कोशिश नहीं की. मैंने देखा कि राजू का लंड एक दम खड़ा हो चुका था और उसका निक्कर तम्बू की तरह हो गया था. वो केवल घुटने तक ही मालिश कर रहा था तो मैंनेकहा, “क्या कर रहे हो, राजू. मेरी जाँघों की भी मालिश करो.” 
वो मेरी जाँघों तक मालिश करने लगा. थोड़ी देर बाद वो मालिश करते-करते अपनी अँगुली मेरी चूत पर छूने लगा तो मैं कुछ नहीं बोली. उसकी(uski) हिम्मत और बढ़ गयी और वो अपने एक हाथ से मेरी चूत को पैंटी के ऊपर से ही सहलाते हुए टाँगों की मालिश करने लगा. मुझे तो बहुत मज़ा आ रहा था. मैं दिल ही दिल में खुश हो रही थी कि अब बस थोड़ी ही देर में मेरा काम होने वाला है. 
थोड़ी ही देर बाद राजू जोश से एक दम बेकाबू हो गया और उसने(usne) मेरी पैंटी नीचे सरका दी और एक हाथ से मेरी चूत को सहलाने लगा. मैं फिर भी कुछ नहीं बोली तो उसकी(uski) हिम्मत और बढ़ गयी. उसने(usne) मेरी टाँगों की मालिश बँद कर दी और अपनी बीच की अँगुली मेरी चूत में डाल दी और अंदर-बाहर करने लगा. मैं मन ही मन एक दम खुश हो गयी की अब मेरा काम बन गया. वो दूसरे हाथ से मेरी चूचियों को मसलने लगा. थोड़ी ही देर में मैं एक दम जोश में आ गयी और आहें भरने लगी. वो मेरी चूचियों को मसलते हुए अपनी अँगुली बहुत तेजी के साथ मेरी चूत के अंदर बाहर करने लगा तो दो मिनट में ही मैं झड़ गयी और मेरी चूत एक दम गीली हो गयी. 
मैंने उसका सिर पकड़ कर अपनी चूत की तरफ़ खींच लिया. वो मेरा इशारा समझ गया और मेरी चूत को चाटने लगा. उसने(usne) अपने निक्कर का नाड़ा खोल कर अपना निक्कर नीचे सरका दिया और मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया. उसका लंड तो करीब आठ इंच ही लंबा था लेकिन मेरे पति के लंड से बहुत ज्यादा मोटा था. मैं उसके(uske) लंड को सहलाने लगी तो थोड़ी ही देर में उसका लंड एक दम लोहे जैसा हो गया. वो मेरी चूत को बहुत तेजी से चाट रहा था. मैं जोश से पागल सी होने लगी तो मैंने राजू से कहा, “राजू, अब देर मत करो. मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है!” 
मेरे इतना कहते ही उसने(usne) एक झटके से मेरी पैंटी जो की पहले से ही नीचे थी, उतार दी और मेरी ब्रा को भी खींच कर फेंक दिया. अब मैं बिल्कुल नंगी, सिर्फ अपने सैंडल पहने उस के सामने पड़ी थी. उसके(uske) बाद उसने(usne) अपना निक्कर भी उतार कर फेंक दिया. उसके(uske) बाद वो मेरी टाँगों के बीच आ गया. उसने(usne) मेरी टाँगों को पकड़ कर दूर-दूर फैला दिया और अपने लंड का सुपाड़ा मेरी चूत की फाँकों के बीच रख दिया. उसके(uske) बाद उसने(usne) अपना लंड धीरे-धीरे मेरी चूत के अंदर दबाना शुरू कर दिया. उसका लंड बहुत ज्यादा मोटा था इसलिए मुझे थोड़ा दर्द होने लगा. मैंने दर्द के मारे अपने होठों को जोर से जकड़ लिया जिससे मेरे मुँह से आवाज़ ना निकल पाये. मेरी धड़कनें तेज होने लगी. लग रहा था कि जैसे कोई गरम लोहा मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर घुस रहा हो. 
धीरे-धीरे उसका लंड मेरी चूत के अंदर घुसने लगा. दर्द के मारे मेरी टाँगें थर-थर काँपने लगीं. मेरी धड़कने बहुत तेज चलने लगी. मेरा सारा जिस्म पसीने से नहा गया. उसका लंड फिसलता हुआ धीरे-धीरे मेरी चूत के अंदर करीब पाँच इंच तक घुसा चुका था. दर्द के मारे मेरा बुरा हाल हो रहा था. मैंने सोचा कि अगर मैंने राजू को रोका नहीं तो मेरी चूत फट जायेगी. मैंने राजू से रुक जाने को कहा तो वो रुक गया. उसने(usne) मेरी टाँगों को छोड़ दिया. उसने(usne) मेरी दोनों चूचियों के निप्पलों को पकड़ कर धीरे-धीरे मसलना शुरू कर दिया और मुझे चूमने लगा. मैं भी उसके(uske) होठों को चूमने लगी. 
थोड़ी देर बाद वोह मेरी चूचियों को मसलते हुए अपना लंड धीरे-धीरे मेरी चूत के अंदर बाहर करने लगा. उसका लंड इतना ज्यादा मोटा था कि मेरी चूत ने उसके(uske) लंड को बुरी तरह से जकड़ रखा था. दो मिनट में जब मेरा दर्द कुछ कम हो गया तो मैंने जोश में आकर अपने चूत्तड़ों को उठाना शुरू कर दिया. मुझे चूत्तड़ उठाता हुआ देखकर राजू ने अपनी रफ़्तार थोड़ी सी बढ़ा दी. मुझे अब ज्यादा मज़ा आने लगा. मैं जोश के मारे पागल सी हुई जा रही थी. जोश में आ कर मैंने “और तेज… और तेज…” कहना शुरू कर दिया तो राजू ने अपनी रफ़्तार और तेज कर दी. पाँच मिनट चुदवाने के बाद मैं झड़ गयी तो राजू ने बिना मेरे कुछ कहे ही जोर-जोर के धक्के लगाने शुरू कर दिये. 
हर धक्के के साथ ही राजू का लंड मेरी चूत के अंदर और ज्यादा गहरायी तक घुसने लगा. मुझे बहुत दर्द हो रहा था लेकिन मैं पूरे जोश में आ चुकी थी. उस जोश के आगे मुझे दर्द का ज्यादा एहसास नहीं हो रहा था. धीरे-धीरे राजू ने अपना पूरा का पूरा लंड मेरी चूत में घुसा दिया. पूर लंड मेरी चूत में घुसा देने के बाद राजू रुक गया. उसका लंड जड़ के पास बहुत ज्यादा मोटा था. मेरी चूत ने उसके(uske) लंड को बुरी तरह से जकड़ रखा था. थोड़ी देर बाद जब उसने(usne) धक्के लगाना शुरू किया तो वो आसानी से अपना लंड मेरी चूत के अंदर बाहर नहीं कर पा रहा था. मुझे एक दम जन्नत का मज़ा मिल रहा था. मैं एक दम मस्त हो चुकी थी. आज मुझे बहुत ही अच्छे लंड से चुदवाने का मौका मिल रहा था. राजू मेरी चूचियों को मसलते हुए मुझे धीरे-धीरे चोद रहा था. पाँच मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ गयी. 
झड़ जाने की वजह से मेरी चूत एक दम गीली हो गयी तो राजू ने तेजी के साथ धक्केलगाने शुरू कर दिये. अब मेरी चूत ने राजू के लंड को थोड़ा सा रास्ता दे दिया था. वो जोर-जोर के धक्के लगाते हुए मेरी चुदाई कर रहा था. हर धक्के के साथ ही उसका लंड मेरी बच्चेदानी के मुँह का चुंबन ले रहा था. मैं जोश से एक दम पागल सी हुई जा रही थी और खूब जोर-जोर से ‘चोदो मुझे, फाड़ दो मेरी चूत को’, की आवाजें मेरे मुँह से निकल रही थी. राजू भी पूरे जोश और ताकत के साथ मेरी चुदाई कर रहा था. उसकी(uski) रफ़्तार धीरे-धीरे और ज्यादा तेज होने लगी तो मैं पूरी तरह से मस्त हो गयी. अब तक मेरा दर्द एक दम कम हो चुका था. मैंने अपने चूत्तड़ उठा-उठा कर राजू का साथ देना शुरू कर दिया तो उसने(usne) भी मेरी चूचियों को मसलते हुए मुझे बहुत ही अच्छी तरह से चोदना शुरू कर दिया. 
राजू का लंड अब मेरी चूत में आसानी के साथ अंदर-बाहर होने लगा. राजू ने मेरी चूचियों को छोड़ कर मेरी कमर को जोर से पकड़ लिया और अपनी रफ़्तार और ज्यादा तेज कर दी. अब वो मुझे एक दम आँधी की तरह से चोदने लगा था. मैं जोर-जोर के हिचकोले खा रही थी. मेरी चूचियाँ उसके(uske) हर धक्के के साथ गोल-गोल घूम रही थी. लग रहा था कि जैसे मेरी चूचियाँ गोल-गोल घूम कर नाच रही हों और मेरी चुदाई का जश्न मना रही हो. मुझे ये देख कर बहुत अच्छा लग रहा था. मैं भी पूरी मस्ती में थी. जब राजू धक्का लगाता तो मैं अपने चूत्तड़ ऊपर उठा देती थी जिस से उसका लंड एक दम जड़ तक मेरी चूत के अंदर दाखिल हो जाता था. 
इसी तरह राजू ने मुझे करीब तीस मिनट तक चोदा और उसके(uske) बाद मेरी चूत में ही झड़ गया. उसके(uske) लंड से इतना ज्यादा रस निकला जैसे वो बहुत दिनो से झड़ा ही ना हो. मेरी चूत उउसकी(uski) मनि से पूरी तरह भर गयी थी. मेरी चूत ने अभी भी उसके(uske) लंड को बुरी तरह से जकड़ रखा था इसलिए उसकी(uski) मनि की एक बूँद भी बाहर नहीं निकल पायी. मैं भी इस चुदाई के दौरान तीन दफ़ा झड़ चुकी थी. वो अपना लंड मेरी चूत में डाले हुए ही मेरे ऊपर लेटा रहा और मुझे चूमता रहा. मैं भी उसकी(uski) पीठ को सहलाते हुए बड़े प्यार से उसे चूमने लगी. हम दोनों इसी तरह करीब दस-पंद्रह मिनट तक लेटे रहे. 
राजू का लंड अभी तक मेरी चूत के अंदर ही था. वो अपना लंड मेरी चूत में डाले हुए ही अपनी कमर को इधर-उधर करने लगा तो दो मिनट में उसका लंड फिर से मेरी चूत के अंदर ही सख्त होने लगा. मैं अभी तक जोश में थी. मैंने भी उसके(uske) साथ ही साथ अपने चूत्तड़ इधर-उधर करना शुरू कर दिया. पाँच मिनट में ही राजू का लंड मेरी चूतके अंदर ही एक दम सख्त हो कर लोहे जैसा हो गया तो राजू ने मुझे फिर से चोदना शुरू कर दिया. पाँच मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ गयी तो मैंने राजू से कहा, “मुझे डॉगी स्टाईल में चुदवाना ज्यादा पसंद है!” 
वो इंग्लिश नहीं जानता था. वो बोला, “ये कौन सा तरीका है?” 
मैंने कहा, “तुमने कुत्तिया को कुत्ते से करते हुए देखा है?” 
वो बोला, “मैं समझ गया. तुम घोड़ी बन कर चुदवाना चाहती हो?” 
मैंने कहा, “हाँ.” 
उसने(usne) अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया तो मैं डॉगी स्टाईल में हो गयी. राजू मेरे पीछे आ गया और उसने(usne) अपना पूरा का पूरा लंड एक झटके से मेरी चूत में डाल दिया. मुझे थोड़ा दर्द महसूस हुआ तो मेरे मुँह से हल्की सी चींख निकल गयी. पूरा लंड मेरी चूत में घुसा देने के बाद राजू ने मेरी कमर को पकड़ लिया और मुझे बहुत ही तेजी के साथ चोदने लगा. थोड़ी देर तक तो मैं दर्द से तड़पती रही लेकिन फिर बाद में मैं भी अपने चूत्तड़ आगे पीछे करते हुई राजू का साथ देने लगी. मुझे साथ देते हुए देख कर राजू ने अपनी रफ़्तार काफ़ी तेज कर दी. 
दस मिनट की चुदाई के बाद ही मैं फिर से झड़ गयी. मेरे झड़ जाने के बाद राजू ने मुझे बहुत ही बुरी तरह से चोदना शुरू कर दिया. वो इतनी जोर जोर के धक्के लगा रहा था कि मैं हर धक्के के साथ आगे की तरफ़ खिसक जा रही थी. राजू ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया और मुझसे ज़मीन पर चलने को कहा. मैं ज़मीन पर आ गयी तो उसने(usne) मेरा सिर दीवार से सटा कर मुझे कुत्तिया की तरह बना दिया. उसके(uske) बाद उसने(usne) बहुत ही बुरी तरह से मेरी चुदाई शुरू कर दी. मेरा सिर दीवर से सटा हुआ था. मैं अब आगे नहीं खिसक पा रही थी इसलिए अब उसका हर धक्का मुझ पर भारी पड़ रहा था. 
मैं भी पूरे जोश में आ चुकी थी और अपने चूत्तड़ आगे-पीछे करते हुए उससे चुदवा रही थी. वो भी पूरी ताकत के साथ जोर-जोर के धक्के लगाते हुए मेरी चुदाई कर रहा था. कमरे में ‘धप-धप’ और ‘चप-चप’ की आवाज़ हो रही थी. मैं जोश में आ कर जोर -जोर की सिसकारियाँ भर रही थी. सारा कमरा मेरी जोश भरी सिसकरियों से गूँज रहा था. मैं ‘और तेज… और तेज…’ करती हुई एक दम मस्त हो कर राजू से चुदवा रही थी. आज मुझे राजू से चुदवाने में जो मज़ा आ रहा था वो मज़ा मुझे शादी के बाद कुछ दिनों तक ही अपने पति से चुदवाने में मिला था. आज मैं अपनी ज़िंदगी में दूसरी बार सुहागरात का मज़ा ले रही थी क्योंकि मेरी चूत राजू के लंड के लिये किसी कुँवारी चूत से कम नहीं थी. 
राजू ने मुझे इस बार करीब पैंतालीस मिनट तक बहुत ही बुरी तरह से चोदा. इस बार की चुदाई के दौरान मैं तीन बार झड़ चुकी थी. सारी मनि मेरी चूत में निकाल देने के बाद जब राजू ने अपना लंड बाहर निकाला तो मैं अपने आप को रोक ना सकी और मैंने उसका लंड चाटना शुरू कर दिया. वो मुझसे अपना लंड चटवा कर बहुत खुश हो रहा था. मैंने राजू से पूरी मस्ती के साथ सारी रात खूब चुदवाया. सुबह हम दोनों नहाने के लिये एक साथ बाथरूम में गये. राजू ने बाथरूम में भी बुरी तरह से मेरी चुदाई की. उसके(uske) बाद सारा दिन उसने(usne) मुझे कईं तरह के स्टाईल में खूब चोदा. 
रात के आठ बजे मैं राजू के साथ डीनर के लिये एक होटल में गयी. होटल से लौट कर आने के बाद राजू ने सारी रात मुझे बहुत ही अच्छी तरह से चोदा. उसने(usne) मुझे पूरी तरह से मस्त कर दिया था. तीसरे दिन सुबह के आठ बजे काल-बेल बजी तो मैंने राजू से कहा, “जा कर देखो. शायद अमित आया है!” 
राजू ने एक टॉवल लपेट लिया और जा कर दरवाजा खोला तो अमित ही था. राजू अमित के साथ मेरे पास आया. अमित ने राजू के सामने ही मुझसे पूछा, “कैसी रही चुदाई!” तो राजू समझ गया था कि अमित को सब कुछ मालूम है. 
मैंने कहा, “इतनी अच्छी कि मैं बता नहीं सकती!” 
अमित बोला, “राजू का लंड पसंद आया?” 
तो मैंने कहा, “हाँ, बेहद पसंद आया!” 
अमित बोला, “कितनी दफ़ा चोदा राजू ने?” 
मैंने कहा, “मैंने तो बस पूरी मस्ती के साथ राजू से खूब चुदवाया. मैं नहीं बता सकती कि इसने कितनी दफ़ा मेरी चुदाई की. तुम राजू से पूछ लो, शायद ये बता सके!” 
अमित ने राजू से पूछा तो उसने(usne) कहा, “बारह बार!” 
अमित ने कहा, “शाबाश राजू, बस तुम इसी तरह पूनम की चुदाई करते रहो. अभी तो तुम्हें मेरी बीवी की चुदाई भी करनी है!” उसके(uske) बाद अमित ने मुझसे पूछा, “मैं अपनी बीवी को कब ले आऊँ?” 
पूनम की भरपूर चुदाई की थी राजू ने. अब अमित की कुंवारी बीवी की बारी थी. जानिए कैसे प्यारी सी सलोनी राजू के जबरदस्त लंड का स्वाद चखती है. पेश है इस सेक्स कहानी का अगला भाग-
अमित बोला, “कितनी दफ़ा चोदा राजू ने?” 
मैंने कहा, “मैंने तो बस पूरी मस्ती के साथ राजू से खूब चुदवाया. मैं नहीं बता सकती कि इसने कितनी दफ़ा मेरी चुदाई की. तुम राजू से पूछ लो, शायद ये बता सके!” 
अमित ने राजू से पूछा तो उसने(usne) कहा, “बारह बार!” 
अमित ने कहा, “शाबाश राजू, बस तुम इसी तरह पूनम की चुदाई करते रहो. अभी तो तुम्हें मेरी बीवी की चुदाई भी करनी है!” उसके(uske) बाद अमित ने मुझसे पूछा, “मैं अपनी बीवी को कब ले आऊँ?” 
मैंने कहा, “मुझे कल तक खूब जम कर चुदवा लेने दो. कल शाम को तुम अपनी बीवी को ले आना!” 
अमित ने मुझसे कहा, “मैं भी तुम्हारी चुदाई देखना चाहता हूँ. एक बार तुम राजू से मेरे सामने चुदवा लो!” 
मैंने राजू को अपने करीब बुलाया. जब वो मेरे करीब आया तो मैंने उसका टॉवल एक झटके से खींच लिया. राजू का आठ इंच का खूब मोटा लंड फनफनाता हुआ बाहर आ गया. अमित उसके(uske) लंड को देखता ही रह गया. वो बोला, “मेरी बीवी तो अभी कुँवारी है. इसका इतना मोटा लंड उसकी(uski) चूत में कैसे घुसेगा!” 
मैंने कहा, “जैसे पहली-पहली मर्तबा किसी मर्द का लंड किसी औरत की कुँवारी चूत में घुसता है!” 
अमित बोला, “उसे बहुत तकलीफ होगी!” 
मैंने कहा, “वो तो हर औरत को पहली-पहली मर्तबा होती है.” 
अमित बोला, “उसे बहुत ज्यादा दर्द होगा और वो खूब चिल्लायेगी.” 
मैंने कहा, “चिल्लाने दो उसे, उसके(uske) बाद उसको मज़ा भी तो खूब आयेगा.” 
अमित चुप हो गया और मेरे पास बैठ गया. राजू ने अपना लंड मेरे मुँह के पास कर दिया तो मैं उसका लंड चूसने लगी. दस मिनट में ही राजू का लंड एक दम लोहे के जैसा हो गया. मैं अपने चूत्तड़ अमित की तरफ़ कर के डॉगी स्टाईल में हो गयी. राजू ने अपना लंड एक झटके से मेरी चूत में घुसेड़ दिया तो मेरे मुँह से जोर की आह निकली. पूरालंड मेरी चूत में घुसा देने के बाद राजू मुझे चोदने लगा. अमित बड़े ध्यान से मुझे राजू से चुदवाते हुए देखता रहा. राजू ने मुझे करीब पैंतालीस मिनट तक चोदा और फिर झड़ गया. मैं भी दो बार झड़ चुकी थी. राजू ने जब अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला तो मैं राजू के लंड को चाट चाट कर साफ़ करने लगी. 
उसके(uske) बाद मैंने अमित से कहा, “आज तुम अकेले ही साईट पर चले जाओ और मुझे चुदाई का मज़ा लेने दो.” 
अमित बोला, “ठीक है!” उसके(uske) बाद वो चल गया. 
मैंने दूसरे दिन सुबह तक राजू से दिल और चूत खोल केखूब चुदवाया. दूसरे दिन सुबह आठ बजे अमित आ गया. मैंने राजू को कुछ पैसे दिये और कहा, “तुम बाज़ार जा कर खूब अच्छी तरह से खा लेना. आज सारी रात तुम्हें अमित की कुँवारी बीवी की चुदाई करनी है!” 
वो मुस्कुराते हुए बोला, “ठीक है.” 
मैं अमित के साथ साईट पर चली गयी. शाम को वापस आते हुए मैं अमित के घर रुकी. उसकी(uski) बीवी एक दम दुबली-पतली, छरहरे जिस्म की थी और वो मुझसे भी ज्यादा खूबसूरत और गोरी थी. अमित ने मुझसे कहा, “ये मेरी बीवी सलोनी है!” 
सलोनी ने मुझे बिठाया और चाय बनाने जाने लगी तो अमित बोला, “पूनम शाम के बाद चाय-कॉफी नहीं पीती… तू किचन से ग्लास और बर्फ ले आ… मैं पैग बना देता हूँ.” 
थोड़ी देर बाद सलोनी ग्लास, बर्फ और सोडा ले आयी और अमित ने व्हिस्की की बोतल निकाल कर दो पैग बनाये. मेरे जोर देने पर सलोनी ने भी पैग ले लिया और हम इधर-उधर की बातें करते हुए पीने लगे. दिन भर की थकान के बाद व्हिस्की बहुत अच्छी लग रही थी और मैंने जल्दी ही दो पैग पी लिये और जब अमित तेरे लिये तीसरा पैग बनाने लगा तो मैंने इंकार नहीं किया. सलोनी तो पहला पग ही अभी तक पी रही थी. 
उसके(uske) बाद मैंने सलोनी से कहा, “आज तुम मेरे साथ मेरे घर चलो. आज रात को हम सब एक ही साथ डिनर करेंगे!” सलोनी तैयार होने लगी. जब वो तैयार हो कर मेरे पास आयी तो वो मेक-अप में और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी. मैं उन दोनों के साथ कार से घर आ गयी. घर पहुँचने पर मैं सलोनी को अपने बेडरूम में ले गयी और उस से बैठने को कहा. वो मेरे बेड पर बैठ गयी. अमित भी सलोनी की बगल में बैठ गया. मैंने अमितके सामने ही अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिये तो सलोनी कभी अमित को और कभी मुझे देखने लगी. मैंने ब्रा, पैंटी और हाई हील सैंडलों को छोड़ कर सारे कपड़े उतार दिये. 
सलोनी बोली, “दीदी, आप को अमित के सामने कपड़े उतारने में शरम नहीं आती?” 
मैंने कहा, “मेरे पति को गुजरे हुए छः महीने से ज्यादा हो चुके हैं. मैंने इन छः महिनों में कभी भी सैक्स का मज़ा नहीं लिया था. एक दिन मैंने अमित से कहा तो मुझे मालूम हुआ कि इसका तो लंड ही नहीं खड़ा होता. मैं अमित के सामने पहले भी एक दम नंगी हो चुकी हूँ. इसलिए मुझे शरम नहीं आती. मैंने अपनी सैक्स की भूख मिटाने के लिये एक नौकर रख लिया है. उसका नाम राजू है. उसका लंड बहुत ही लंबा और मोटा है और वो बहुत ही अच्छी तरह से मेरी चुदाई करता है. मैं अपने कपड़े उतार कर राजू से चुदवाने जा रही हूँ. मुझे ये भी मालूम है कि तुम अभी तक कुँवारी हो. तुम बैठ कर मेरी चुदाई का मज़ा लो. 
उसके(uske) बाद अगर तुम्हारा दिल करे तो तुम भी उससे चुदवा लेना. आखिर तुम चुदवाने के लिये कब तक तड़पती रहोगी. इसी लिये आज मैं तुमको यहाँ ले आयी हूँ.” 
सलोनी बोली, “मुझे शरम आयेगी.” 
मैंने कहा, “काहे की शरम. जब मुझे तुम्हारे सामने चुदवाने में शरम नहीं आ रही है तो तुम क्यों शरमा रही हो. तुम बैठ कर मेरी चुदाई का मज़ा लो. शायद तुम्हारा मन भी चुदवाने का करे. आखिर अब तुम्हें सारी ज़िंदगी अमित के साथ ही गुजारनी है. अमित को मैंने पहले ही समझा दिया है और उसे कोई ऐतराज़ नहीं है.” 
सलोनी चुप हो गयी. मैंने एक ग्लास में व्हिस्की डाल कर एक तगड़ा सा पैग बना कर उसे दिया. “लो सलोनी… ये पीयो… तुम्हें अच्छा लगेगा और शरम भी चली जायेगी.” 
मैंने राजू से पहले ही कह रखा था की जब मैं उसे बुलाऊँगी तो वो एक दम नंगा ही मेरे पास आये. मैंने राजू को पुकारा तो वो मेरे कमरे में आ गया. वो एक दम नंगा था. सलोनी ने जैसे ही उसका लंड देखा तो उसने(usne) अपना सिर झुका लिया. 
मैंने सलोनी से कहा, “अब क्यों शरमा रही हो. अब तो राजू तुम्हारे सामने एक दम नंगा ही आ गया है. तुम देखो तो सही कि इसका लंड कैसा है.” 
सलोनी ने अपना सिर ऊपर उठा लिया. वो राजू का लंड देखने लगी. राजू सलोनी के पास आया और बोला, “कैसा लगा मेरा लंड?” 
सलोनी कुछ नहीं बोली और अपना ड्रिंक पीने लगी. मैंने राजू का लंड चूसना शुरू कर दिया. थोड़ी ही देर में राजू का लंड एक दम सख्त हो गया तो मैं राजू से चुदवाने लगी. सलोनी चुपचाप बैठ कर देखते हुए व्हिस्की पीती रही. राजू ने मुझे करीब आधे घंटे तक चोदा और झड़ गया. जोश और नशे के मारे सलोनी की आँखें एक दम गुलाबी हो चुकी थीं. जब राजू ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला तो मैंने सलोनी को अपनी चूत दिखाते हुए कहा, “देखो, मेरी चूत ने राजू का लंबा और मोटा लंड कैसे अपने अंदर ले लिया.” 
सलोनी मेरी चूत को देखने लगी. मैंने कहा, “अब तुम भी एक बार राजू से चुदवा लो. अगर तुम्हें इससे चुदवाना पसंद नहीं आयेगा तो तुम फिर राजू से कभी मत चुदवाना.” 
सलोनी ने शरमाते हुए कहा, “इसका लंड तो बहुत मोटा है. मुझे बहुत तकलीफ होगी!” 
मैंने कहा, “तुम अभी कुँवारी हो… इसलिए तुम चाहे जिस भी लंड से पहली बार चुदवाओगी… तकलीफ तो तुम्हें होगी ही. उसके(uske) बाद मज़ा भी खूब आयेगा.” 
वो कुछ नहीं बोली. मैंने राजू से कहा, “तुम अपना लंड सलोनी के हाथ में दे दो जिससे ये तुम्हारा लंड ठीक से देख ले.” 
राजू सलोनी के पास आ गया. उसने(usne) सलोनी के हाथ से खाली ग्लास ले कर एक तरफ रख दिया और उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया. सलोनी ने शरमाते हुए उसके(uske) लंड को अपने हाथों में पकड़ लिया और देखने लगी. थोड़ी देर बाद मैंने कहा, “अगर तुम्हें इसका लंड अच्छा लग रहा हो तो चुदवा लो.” वो कुछ नहीं बोली. 
मैंने कहा, “क्या हुआ? कुछ बोलती क्यों नही? अगर तुम्हें इसका लंड अच्छा नहीं लग रहा है तो छोड़ दो इसका लंड!” उसके(uske) बाद मैंने राजू से कहा, “राजू तुम रहने दो और जा कर कपड़े पहन लो. सलोनी को तुम्हारा लंड पसंद नहीं आ रहा है!” राजू जैसे ही अपने लंड से सलोनी का हाथ हटाने लगा तो सलोनी ने उसके(uske) लंड को जोर से पकड़ लिया. मैं समझ गयी कि सलोनी चुदवाने के लिये राज़ी है. 
मैंने राजू से कहा, “राजू सलोनी तुमसे चुदवाने के लिये राज़ी है. तुम सलोनी के कपड़े उतार दो और इसकी अच्छी तरह से चुदाई कर के इसे एक दम खुश कर दो.” 
राजू ने सलोनी के कपड़े उतारने शुरू कर दिये तो सलोनी शरमाने लगी लेकिन उसने(usne) राजू को रोका नहीं. राजू ने धीरे-धीरे सलोनी के सारे कपड़े उतार दिये. अब सलोनी ने सिर्फ हाई हील के सैंडल पहने हुए थे और सलोनी का गोरा जिस्म संगमरमर की मूर्ती जैसा लग रहा था. उसेदेख कर राजू खुश हो गया. राजू ने सलोनी को बेड पर लिटा दिया. राजू ने अपने होंठ सलोनी के होंठों पर रख दिये और उसके(uske) होंठों को चूमने लगा. थोड़ी ही देर में सलोनी को भी जोश आने लगा तो वो भी राजू के होंठों को चूमने लगी. राजू सलोनी के पीठ पर अपना हाथ फिराते हुए उसे चूमने लगा तो सलोनी भी राजू की पीठ पर अपना हाथ फिराने लगी. 
सलोनी की आँखें धीरे-धीरे गुलाबी सी होने लगी. राजू ने सलोनी को चूमते हुए उसके(uske) निप्पलों को मसलना शुरू कर दिया. सलोनी सिसकरियाँ भरने लगी. अमित बड़े ध्यान से देख रहा था. फिर राजू ने सलोनी की चूचियों को, फिर पेट को और फिर उसकी(uski) नाभी को चूमना शुरू कर दिया. सलोनी धीरे-धीरे जोश में आ रही थी और सिसकरियाँ भर रही थी. थोड़ी देर तक सलोनी की नाभी और उसके(uske) आसपास चूमने के बाद राजू ने सलोनी की चूत को चूमना शुरू कर दिया तो सलोनी जोर-जोर से आहें भरने लगी. राजू एक हाथ से सलोनी के निप्पलों को मसल रहा था और दूसरे हाथ से सलोनी की जाँघ को सहला रहा था. सलोनी ने जोश के मारे अपनी दोनों जाँघों को एक दम सटा लिया. 
राजू ने सलोनी की दोनों जाँघों को एक दूसरे से अलग किया. सलोनी की चूत पर एक भी बाल नहीं था और उसकी(uski) चूत एक दम गोरी और चिकनी थी. राजू ने अपनी जीभ सलोनी की चूत के दोनों फाँकों पर फिरानी शुरू कर दी तो सलोनी जैसे पागल सी होने लगी. उसने(usne) राजू के सिर को जोर से पकड़ लिया लेकिन राजू रुका नहीं. वो अपनी जीभ को सलोनी की चूत की फाँकों पर तेजी से फिराने लगा. दो मिनट में ही सलोनी झड़ गयी और उसकी(uski) चूत एक दम गीली हो गयी. राजू ने सलोनी की चूत का सारा रस चाट लिया और फिर अपनी जीभ सलोनी की क्लिट पर गोल-गोल घुमाने लगा. सलोनी ने जोश के मारे जोर की सिसकी ली. 
मैंने सलोनी से पूछा, “क्या हुआ?” 
वो बोली, “दीदी, मेरे तमाम जिस्म में आग सी लग गयी है. तुम राजू से कह दो अब देर ना करे नहीं तो मैं पागल हो जाऊँगी. मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है!” 
मैंने राजू से कहा तो वो बोला, “मेरा लंड बहुत मोटा और लंबा है. अगर मैंने इन्हें अभी चोद दिया तो इन्हें बहुत दर्द होगा. अभी इन्हें एक बार और झड़ जाने दो. तब ये जोश से एक दम पागल हो चुकी होंगी और मेरा पूरा का पूरा लंड आरम से अपनी चूत के अंदर ले लेंगी.” 
मैंने कहा, “ठीक है, जैसा तुम ठीक समझो, करो!” 
राजू सलोनी के ऊपर सिक्स्टी-नाईन की पोज़िशन में लेट गया और उसकी(uski) चूत को तेजी से चाटने लगा. सलोनी अब तक बहुत ज्यादा जोश में आ चुकी थी. उसने(usne) बिना कुछ कहे ही राजू का लंड अपने मुँह में ले लिया और तेजी के साथ चूसने लगी. सलोनी का दिल बहुत तेजी से धड़क रहा था और उसकी(uski) साँसें बहुत तेज चल रही थी. वो जोर-जोर की सिसकारियाँ भरते हुए राजू का लंड चूस रही थी. थोड़ी देर बाद सलोनी ने मुझसे कहा, “दीदी, राजू से कह दो अब देर न करे. मैं एक दम पागल सी हुई जा रही हूँ!” 
मैंने कहा, “मैं क्यों कहूँ, तुम ही राजू से कहो कि वो तुम्हारी चुदाई करे!” 
सलोनी इतनी ज्यादा जोश में आ चुकी थी कि वो रोने लगी. लेकिन उसने(usne) राजू से कुछ भी नहीं कहा. पाँच मिनट में ही सलोनी फिर से झड़ गयी तो उसने(usne) राजू का सिर जोर से पकड़ लिया और बोली, “अब तो मैं फिर से झड़ गयी हूँ. अब तो देर ना करो. जल्दी से चोद दो मुझे!” 
राजू ने कहा, “मेरा लंड बहुत लंबा और मोटा है. आप इसे अपनी चूत के अंदर ले पाओगी? बहुत दर्द होगा!” 
सलोनी बोली, “मैं कुछ नहीं जानती. बस तुम अब देर मत करो. डाल दो अपना पूरा का पूरा लंड मेरी चूत में और खूब जोर-जोर से चोदो मुझे!” 
राजू बोला, “ठीक है. मैं लेट जाता हूँ. आप खुद ही मेरा लंड अपनी चूत के अंदर ज्यादा से ज्यादा घुसाने की कोशिश करो!” 
राजू सलोनी के ऊपर से हट कर लेट गया तो सलोनी तुरंत ही राजू के ऊपर चढ़ गयी. सलोनी जोश में एक दम पागल हो रही थी. उसने(usne) राजू के लंड का सुपाड़ा अपनी चूत के बीच रखा और जोर से दबा दिया. राजू के लंड का सुपाड़ा सलोनी की चूत को चीरता हुआ अंदर घुस गया. उसे इस कदर तेज दर्द हुआ कि वो तड़पते हुए तुरंत ही राजू के ऊपर से हट गयी और लेट गयी. सलोनी को बिल्कुल भी नहीं मालूम था कि इतना दर्द होगा. 
आखिर राजू का लंड भी थातो बेहद मोटा. सलोनी दर्द के मारे तड़प रही थी. राजू सलोनी के होंठों को चूमने लगा. थोड़ी देर बाद सलोनी आसुदा हुई तो राजू ने कहा, “मेरे ऊपर आ जाओ और मेरा लंड अपनी चूत में और ज्यादा घुसाने की कोशिश करो!” 
सलोनी बोली, “मैं तुम्हारा लंड अपनी चूत में नहीं घुसा पाऊँगी. मुझे बेइंतेहा दर्द हो रहा है. अब तुम ही अपना लंड मेरी चूत में घुसाओ.” 
राजू बोला, “बहुत दर्द होगा!” 
सलोनी बोली, “तुम तो मर्द हो. तुम ही अपना लंड मेरी चूत में जबरदस्ती घुसा सकते हो.” 
राजू बोला, “ठीक है!” 
राजू सलोनी की टाँगों के बीच आ गया. उसने(usne) सलोनी की टाँगों को घुटनों से मोड़ कर उसके(uske) कंधों के पास सटा कर दबा दिया. सलोनी एक दम दोहरी हो गयी और उसकी(uski) चूत उपर की तरफ उठ गयी. राजू ने अपने लंड का सुपाड़ा उसकी(uski) चूत के बीच रखा. राजू ने जोर लगाते हुए अपना लंड सलोनी की चूत के अंदर दबाना शुरू किया. जैसे ही राजू का लंड सलोनी की चूत में दो इंच घुसा तो सलोनी जोर-जोर से चींखने लगी. लेकिन राजू रुका नहीं और उसने(usne) थोड़ा जोर और लगा दिया. सलोनी दर्द के मारे तड़पने लगी. उसकी(uski) आँखों में आँसू आ गये. उसका सारा जिस्म पसीने से नहा गया. उसकी(uski) टाँगें थरथर काँपने लगी. राजू का लंड सलोनी की चूत में तीन इंच तक घुस चुका था. मैं सलोनी के पास बैठ गयी और मैंने उसकी(uski) चूचियों को सहलाना शुरू कर दिया. सलोनी ने मुझे जोर से पकड़ लिया और रोने लगी. वो बोली, “दीदी! बेहद दर्द हो रहा है. मैं राजू का पूरा लंड अपनी चूत के अंदर कैसे ले पाऊँगी!” 
मैंने कहा, “पहली-पहली मर्तबा दर्द तो होता ही है. तुम घबराओ मत, राजू जब धीरे-धीरे तमाम लंड तुम्हारी चूत में घुसा कर तुम्हें चोदेगा तब तुम्हें खूब मज़ा आयेगा और तुम सारा दर्द भूल जाओगी. उसके(uske) बाद तुम्हें राजू से चुदवाने में कभी दर्द नहीं होगा और तुम चुदाई का पूरा मज़ा ले पाओगी.” 
राजू अपना लंड सलोनी की चूत में डाले हुए रुका रहा. थोड़ी देर बाद सलोनी आसुदा होगयी. राजू ने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिये. राजू का लंड अभी भी सलोनी की चूत में चार इंच तक ही अंदर बाहर हो रहा था. थोड़ी देर बाद सलोनी को मज़ा आने लगा और वो पाँच मिनट की चुदाई के बाद झड़ गयी. राजू ने अपनी रफ़्तार थोड़ा बढ़ा दी. राजू हर पंद्रह-बीस धक्कों के बाद एक जोर का धक्का लगाते हुए सलोनी की चुदाई करने लगा. जब वो जोर का धक्का लगा देता तो उसका लंड सलोनी की चूत के अंदर और ज्यादा गहरायी तक घुस जाता. जब राजू जोर का धक्का लगा देता तो सलोनी दर्द के मारे तड़प उठती थी. सलोनी बहुत ज्यादा जोश में थी इसलिए उसे दर्द का ज्यादा एहसास नहीं हो रहा था. राजू इसी तरह सलोनी की चुदाई करता रहा. वो अभी सलोनी को ज्यादा तेजी के साथ नहीं चोद रहा था. दस मिनट की चुदाई के बाद सलोनी फिर से झड़ गयी तो मैंने पूछा, “अब कैसा लग रहा है?” 
सलोनी बोली, “मज़ा तो आ रहा है लेकिन दर्द भी बेइंतेहा हो रहा है!” 
मैंने कहा, “अभी राजू का पूरा लंड तुम्हारी चूत में नहीं घुसा है इसलिए वो तुम्हें धीरे-धीरे चोद रहा है. जब वो अपना पूरा का पूरा लंड तुम्हारी चूत में घुसा देगा तब वो तुम्हारी बहुत तेजी के साथ चुदाई करेगा. उसके(uske) बाद तुम्हें चुदवाने में खूब मज़ा आयेगा.” 
सलोनी ने पूछा, “अभी कितना बाकी है?” 
मैंने कहा, “अभी तक तो राजू का लंड तुम्हारी चूत में करीबपाँच इंच ही घुसा है!” 
सलोनी बोली, “राजू से कह दो कि वो अपना पूरा लंड मेरी चूत में जल्दी से घुसा दे. मैं जल्दी से जल्दी चुदवाने का पूरा मज़ा लेना चाहती हूँ!” 
मैंने कहा, “दर्द बहुत होगा!” 
वो बोली, “दर्द तो धीरे-धीरे घुसाने में भी हो रहा है!” 
मैंने राजू से कहा, “अब तुम पूरी ताकत लगा कर अपना पूरा का पूरा लंड इसकी चूत में घुसा दो!” 
राजू ने पूरी ताकत के साथ बहुत जोर-जोर के धक्के लगाने शुरू कर दिये. सलोनी दर्द के मारे चींखने लगी. सारा कमरा उसकी(uski) चींखों से गूँजने लगा. सलोनी ने दर्द के मारे अपने सिर के बाल नोचने शुरू कर दिये. आठ-दस जोरदार धक्कों के बाद राजू का लंड पूरा का पूरा सलोनी की चूत में घुस गया. सलोनी दर्द के मारे तड़प रही थी. राजू ने पूरा लंड घुसा देने के बाद बहुत तेजी के साथ सलोनी की चुदाई शुरू कर दी. सलोनी दर्द के मारे चींखती रही लेकिन राजू रुका नहीं. वो बहुत तेजी के साथ सलोनी को चोद रहा था. 
दस मिनट तक तो सलोनी बुरी तरह से चींखती रही और फिर धीरे-धीरे चुप होने लगी. अब तक सलोनी की चूत ने अपना पूरा मुँह खोल कर राजू के लंड को अंदर जाने का रास्ता दे दिया था. राजू भी पूरे जोश के साथ सलोनी को चोद रहा था. पाँच मिनट और चुदवाने के बाद सलोनी चुप हो गयी. उसकी(uski) दर्द भरी चींखें अब जोश भरी सिसकरियों में बदल रही थी. 
पाँच मिनट और चुदवाने के बाद वो झड़ गयी तो उसे और ज्यादा मज़ा आने लगा. अब राजू का लंड सलोनी की चूत में कुछ आसानी से अंदर बाहर होने लगा था. सलोनी भी अब अपने चूत्तड़ उठा-उठा कर चुदवाने लगी थी. मैंने सलोनी से पूछा, “अब मज़ा आ रहा है?” 
वो बोली, “हाँ दीदी, अब तो बहुत मज़ा आ रहा है!” 
मैंने पूछा, “अब दर्द नहीं हो रहा है?” 
वो बोली, “दर्द तो हो रहा है लेकिन काफ़ी कम.” 
मैंने राजू से कहा, “अब तुम पूरी ताकत के साथ तेजी से सलोनी की चुदाई शुरू कर दो.” 
राजू ने पूरी ताकत लगाते हुए बहुत तेजी के साथ सलोनी की चुदाई शुरू कर दी. अब वो सलोनी को एक दम आँधी की तरह चोद रहा था. पाँच मिनट की चुदाई के बाद ही सलोनी ने “और तेज… और तेज…” कहना शुरू कर दिया तो राजू ने उसे बुरी तरह से चोदना शुरू कर दिया. सारे कमरे में धप-धप और फच-फच की आवाज़ गूँज रही थी. साथही साथ सलोनी की जोश भरी किलकारियाँ भी गूँज रही थी. वो “और तेज… और तेज… खूब जोर-जोर से चोदो मेरे जानू… फाड़ दो आज मेरी प्यासी चूत को…” कहते हुए चुदवा रही थी. अमित आँखें फाड़े हुए सलोनी को पूरे जोश के साथ चुदवाते हुए देख रहा था. सलोनी अपने चूत्तड़ उठा-उठा कर राजू से चुदवा रही थी. राजू को अब तक सलोनी की चुदाई करते हुए करीब पैंतालीस मिनट हो चुके थे. उसने(usne) सलोनी को चोदने के तुरंत पहले ही मुझे चोदा था इसलिए वो झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था. दस मिनट तक चुदवाने के बाद सलोनी फिर से झड़ गयी. 
राजू अभी भी सलोनी को बुरी तरह से चोद रहा था और सलोनी एक दम मस्त हो कर राजू से चुदवा रही थी. दस मिनट और चोदने के बाद राजू रुक-रुक कर बहुत जोर-जोर के धक्के लगाने लगा तो मैं समझ गयी कि वो अब झड़ने वाला है. सलोनी भी अपने चूत्तड़ बहुत तेजी के साथ ऊपर उठा रही थी. दो मिनट बाद ही राजू सलोनी की चूत में झड़ने लगा तो सलोनी भी उसके(uske) साथ ही साथ फिर से झड़ गयी. 
तमाम मनि सलोनी की चूत में निकाल देने के बाद राजू सलोनी के ऊपर ही लेट गया और उसे चूमने लगा. सलोनी भी उसकी(uski) पीठ को सहलाते हुए उसे चूमने लगी. मैंने सलोनी से पूछा, “मज़ा आया?” 
पूनम और सलोनी दोनों राजू से चुद ली और संतुष्ट थीं. उनको लगा राजू का लंड ही सब कुछ है पर उनको एक उससे भी ‘बड़ा’ सरप्राइज मिलने वाला था. एक नया खिलाडी आ रहा है मैदान में. इस सेक्स कहानी का आखिरी भाग. 
सलोनी बोली, “हाँ दीदी, बहुत मज़ा आया. मैं इसी मज़े के लिये शादी के बाद से ही तड़प रही थी!” 
मैंने कहा, “अब तो तुम अमित से खफ़ा नहीं रहोगी?” 
वो बोली, “अगर अमित मुझे राजू से चुदवाने से मना नहीं करेगा तो मैं उससे कभी भी खफ़ा नहीं रहुँगी.” 
वो दोनों थोड़ी देर तक एक दूसरे को चूमते हुए लेटे रहे. दस मिनट बाद राजू सलोनी के उपर से हट गया और उसकी(uski) बगल में ही लेट गया. मैंने देखा कि सलोनी की चूत का मुँह एक दम चौड़ा हो चुका था. उसकी(uski) चूत एक दम गुलाबी हो गयी थी और कई जगह से एक दम कट फट गयी थी. एक घंटे तक आराम करने के बाद सलोनी बाथरूम जाना चाहती थी लेकिन वो उठ नहीं पा रही थी. राजू उसे गोद में उठा कर बाथरूम ले जाने लगा तो मैंने देखा कि राजू का लंड फिर से खड़ा होने लगा था. राजू सलोनी को लेकर बाथरूम में चला गया. 
जब दस-पंद्रह मिनट तक राजू वापस नहीं आया तो मैं अमित के साथ बाथरूम में गयी. मैंने देखा कि राजू बाथरूम में ही सलोनी की डॉगी स्टाईल में बुरी तरह से चुदाई कर रहा था. सलोनी भी एक दम मस्त हो कर उससे चुदवा रही थी. मैंने राजू से कहा, “तुम इसे बेडरूम में ला कर इसकी चुदाई करते तो क्या मैं तुम्हें मना कर देती?” 
राजू ने कहा, “ऐसी बात नहीं है. ये जब पेशाब कर चुकी तो मुझसे रहा नहीं गया. मैंने इनसे कहा कि मैं फिर से चोदना चाहता हूँ तो इन्होंने कहा कि यहीं चोद दो ना और मैंने इन्हें चोदना शुरू कर दिया!” 
मैंने कहा, “ठीक है!” 
उसके(uske) बाद मैं अमित के साथ बेडरूम में आ गयी. करीब आधे घंटे के बाद राजू सलोनी को गोद में उठा कर ले आया और उसे बेड पर लिटा दिया. सलोनी की चूत एक दम सूज चुकी थी. मैंने सलोनी से पूछा, “इस बार कैसा लगा?” 
वो बोली, “इस बार चुदवाने में इतना मज़ा आया कि मैं बता नहीं सकती. राजू ने इतनी बुरी तरह से मेरी चुदाई की है कि मैं इसका धक्का बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी. इस बार की चुदाई ने मेरे जिस्म का सारा जोड़ हिला कर रख दिया!” 
मैंने कहा, “अब तो खुश हो?” 
वो बोली, “हाँ, अब मैं बहुत खुश हूँ!” 
अगले दो दिनों तक अमित साईट पर अकेला ही गया. मैं सलोनी और राजू के साथ घर पर रही ताकि सलोनी दिल भर्र कर राजू से चुदवा सके. राजू ने दो दिनो में सोलह मर्तबा सलोनी की चुदाई की. सलोनी की चूत का मुँह एक दम खुल चुका था. लेकिन उसे अब भी चलने फिरने में दिक्कत हो रही थी. उसकी(uski) चूत राजू से चुदवा-चुदवा कर एक दम सूज गयी थी और किसी डबल-रोटी की तरह फूल चुकी थी. उन दो दिनों में मैंने राजू से एक बार भी नहीं चुदवाया, केवल सलोनी ही चुदवाती रही. मैं भी चुदवाने का खूब मज़ा लेना चाहती थी. 
मेरे मन में ख्याल आया कि मुझे किसी दूसरे मर्द का इंतज़ाम कर लेना चाहिए. तभी हम दोनों चुदाई का खूब मज़ा ले पायेंगी. तीसरे दिन मैं अमित के साथ दूसरी साईट परगयी. वो साईट एक आदिवासी इलाके में थी. सलोनी और राजू घर पर ही थे. मैंने उस साईट पर भी एक आदमी देखा. वो आदिवासी था और उसका रंग एक दम साँवला था लेकिन था बहुत ही हट्टा कट्टा. उसका लंड मुझे राजू के लंड से भी मोटा और लंबा लगा. मैंने अमित से उसे भी घर पर काम करने के लिये रखने को कहा. अमित ने उससे बात की तो वो राज़ी हो गया. उसका नाम शंकर था. वो हमारे साथ घर आ गया. 
जब उसे मालूम हुआ कि उसे मेरी और सलोनी की चुदाई करनी है तो उसने(usne) इनकार कर दिया. मैंने उस से वजह पूछी तो उसने(usne) कहा, “मेरा लंड बहुत ही लंबा और मोटा है. मैं एक घंटे के पहले नहीं झड़ पाता. मैं पहले भी दो लड़कियों को चोद चुका हूँ. एक बार की चुदाई में ही उनकी चूत बुरी तरह से फट गयी थी और उन्हें असपतालमें भर्ती होना पड़ा. उसके(uske) बाद मैंने कसम खायी कि अब मैं किसी की चुदाई नहीं करूँगा!” 
मैंने कहा, “ठीक है, तुम राजू का लंड देख लो. हम दोनों ने बड़े आराम से इसके लंड से खूब चुदवाया है.” 
मैंने राजू से कहा, “तुम शंकर को अपना लंड दिखा दो!” 
राजू ने शंकर को अपना लंड दिखाया तो शंकर ने कहा, “इसका लंड तो मेरे लंड से बहुत पतला और छोटा है.” 
मैंने शंकर से कहा, “जरा मैं भी तो देखूँ कि तुम्हारा लंड कैसा है?” 
वो बोला, “हाँ, मैं अपना लंड जरूर दिखा सकता हूँ लेकिन मैं आप दोनों को चुदूँगा नहीं!” 
शंकर ने अपना निक्कर उतार दिया. उसका लंड देख कर मैं घबरा गयी. उसका लंड वाकय में माशा अल्लाह काफ़ी लंबा और मोटा था. मैंने कहा, “अभी तुम्हारा लंड ढीला है. पहले इसे खड़ा करो. उसके(uske) बाद ही तुम्हारे लंड के सही साईज़ का पता चलेगा.” 
उसने(usne) कहा, “इसे आप दोनों को ही खड़ा करना पड़ेगा!” 
शंकर के लंड को देख कर सलोनी बहुत जोश में थी और वो उसके(uske) लंड को लालच भरी निगाहों से देख रही थी. मैंने सलोनी को इशारा किया तो उसने(usne) शंकर का लंड सहलाना शुरू कर दिया. थोड़ी ही देर में शंकर का लंड खड़ा होने लगा. उसका लंड खड़ा होने के बाद किसी मूसल की तरह नज़र आ रहा था. शंकर का लंड करीब नौ इंच लंबा और तीन इंच चौड़ा था. 
मैंने थोड़ा सोचते हुए कहा, “हम दोनों तुम्हारे लंड से चुदवाने के लिये तैयार हैं!” 
सलोनी ने तुरंत ही कहा, “दीदी, मैं शंकर से नहीं चुदवाऊँगी. बस तुम ही चुदवा लो!” 
मैंने पूछा, “क्यों, क्या हुआ?” 
वो बोली, “मैं इसका लंड अपनी चूत के अंदर नहीं ले पाऊँगी. मेरी चूत का पहले से ही बहुत बुरा हाल है. मेरी चूत एक दम फट जायेगी.” 
मैंने कहा, “मज़ा नहीं लेना है?” 
वो बोली, “मज़ा तो मैं भी लेना चाहती हूँ. लेकिन मुझे शंकर के लंड को देख कर बहुत डर लग रहा है!” 
मैंने कहा, “जब मैं चुदवा लुँगी तब तो तुम्हारा डर खतम हो जायेगा!” 
वो बोली, “पहले तुम चुदवा लो. मैं बाद में सोचुँगी.” 
मैंने शंकर से कहा, “पहले तुम मुझे चोद दो. सलोनी बाद में चुदवायेगी!” 
शंकर भी लंड खड़ा होने के बाद जोश में आ चुका था. उसने(usne) मुझसे कहा, “आप सोच लो. मुझसे चुदवाने में अगर आपकी चूत फट गयी तो बाद में मुझे दोष मत देना.” 
मैंने कहा, “मैं तुम्हें कुछ भी नहीं कहुँगी.” फिर मैंने अमित से कहा, “अमित मुझे एक ग्लास में व्हिस्की भर के दे दो… नशे में मैं इसका लंड मज़े से झेल लुँगी!” 
अमित ने जल्दी से एक ग्लास में तीन पैग जितनी व्हिस्की डाल कर मुझे दे दी और मैंने जल्दी-जल्दी गटकने लगी. मुझे गले और पेट में जलन तो हुई पर मैं जल्दी से नशे में मदहोश होना चाहती थी. 
शंकर बोला, “आपकी मर्ज़ी है लेकिन पहले मुझे कोई क्रीम या तेल दे दो. मैं अपने लंड पर लगा लूँ. उसके(uske) बाद मैं आपकी चुदाई करूँगा.” 
मुझ पर व्हिस्की का नशा छाने लगा था और मैं मस्ती में आ गयी थी. मैंने अमित को इशारा किया तो उसने(usne) एक क्रीम शंकर को दे दी. शंकर ने ढेर सारी क्रीम अपने लंड पर लगा ली. उसके(uske) बाद मैंने भी आननफ़ानन अपने कपड़े उतारने शुरू कर दियेऔर ऊँची हील के सैंडल के अलावा बिल्कुल मादरजात नंगी हो गयी.. जब मैं एक दम नंगी हो गयी तो उसने(usne) मेरे चूत्तड़ बेड के किनारे पर रख कर मुझे बेड पर लिटा दिया और खुद मेरी टाँगों के बीच ज़मीन पर खड़ा हो गया. उसके(uske) बाद उसने(usne) दो तकिये मेरे चूत्तड़ों के नीचे रख दिये. मेरी चूत अब उसके(uske) लंड की सीध में हो गयी. 
उसने(usne) मुझे कहा, “एक बार फिर से सोच लो!” 
मैंने कहा, “अब सोचना क्या है. अब तुम मेरी इस तरह से चुदाई करो कि मुझे ज्यादा तकलीफ़ ना हो.” 
उसने(usne) अपने लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के बीच रखा और अपना लंड धीरे-धीरे मेरी चूत के अंदर दबाने लगा. अभी उसका लंड दो इंच भी अंदर नहीं घुस पाया था कि मुझे दर्द होने लगा. मैंने अपने होठों को जोर से जकड़ लिया. वो बहुत धीरे-धीरे अपना लंड मेरी चूत के अंदर घुसाता रहा. मुझे लग रहा था कि मेरी चूत फट जायेगी. धीरे-धीरे उसका लंड मेरी चूत में चार इंच तक घुस गया तो मेरी हिम्मत जवाब दे गयी. मेरे मुँह से जोरदार चींख निकली. 
उसने(usne) कहा, “घबराओ मत. थोड़ा दर्द बर्दाश्त करो. अभी चार-पाँच मिनट में मैं धीरे-धीरे अपना पूरा का पूरा लंड आपकी चूत में घुसा दुँगा और आपको ज्यादा तकलीफ़ भी नहीं होगी!” 
मैं चुप हो गयी. उसने(usne) और ज्यादा लंड घुसाने की कोशिश नहीं की और धीरे-धीरे मुझे चोदने लगा. थोड़ी देर तक मैं चींखती रही लेकिन बाद में जब मेरा दर्द कुछ हल्का हुआ तो मैं चुप हो गयी. वो मुझे धीरे-धीरे चोदता रहा. 
पाँच मिनट बाद मैं झड़ गयी तो उसने(usne) अपनी रफ़्तार थोड़ी सी बढ़ा दी. अब वो हर आठ-दस धक्कों के बाद एक धक्का थोड़ा सा तेज लगा कर मेरी चुदाई करने लगा. जब वो थोड़ा तेज धक्का लगा देता तो दर्द के मारे मुँह से हल्की सी चींख निकल जाती लेकिन मैं इतने ज्यादा जोश और नशे में थी कि मुझे उस दर्द का ज्यादा एहसास नहीं हो रहा था. इसी तरह वो मेरी चुदाई करता रहा. करीब दस मिनट और चुदवाने के बाद मैं फिर से झड़ गयी. मैंने शंकर से पूछा, “अब तक तुम्हारा लंड मेरी चूत में कितना घुस चुका है?” 
वो बोला, “करीब सात इंच घुस चुका है और अभी तीन इंच बाकी है. आप घबराओ मत… मैं धीरे धीरे अपना बाकी का लंड भी आपकी चूत में घुसा दुँगा.” 
वो उसी स्टाईल में मेरी चुदाई करता रहा. सलोनी बैठ कर व्हिस्की के पैग की चुस्कियाँ लेती हुई आँखें फाड़े उसके(uske) लंड को मेरी चूत के अंदर घुसता हुआ देखती रही. शंकर अभी मुझे तेजी के साथ नहीं चोद रहा था. उसके(uske) हर धक्के के साथ दर्द के मारे मेरे मुँह से आह की आवाज़ निकल रही थी. करीब दस मिनट की चुदाई के बाद उसने(usne) अपनी रफ़्तार और बढ़ा दी. मेरे मुँह से अब बहुत जोर-जोर की चींखें निकलने लगीं. मैंने शंकर से कहा, “थोड़ा धीरे-धीरे चोदो, दर्द हो रहा है!” 
वो बोला, “अब मैं अपनी रफ़्तार धीरे-धीरे बढ़ाता रहूँगा क्योंकि अब आप मेरा पूरा का पूरा लंड अपनी चूत के अंदर ले चुकी हो!” मैंने चौंक कर कहा, “क्या?” 
वो बोला, “मैं सही कह रहा हूँ. आप इन मेमसाब से पूछ लो!” 
मैंने सलोनी की तरफ़ देखा तो सलोनी ने कहा, “दीदी, ये ठीक कह रहा है. इसका पूरा का पूरा लंड तुम्हारी चूत के अंदर घुस चुका है. शंकर ने इतनी अच्छी तरह से अपना पूरा का पूरा लंड तुम्हारी चूत में घुसा दिया है कि मैं भी अब इससे चुदवाने के लिये तैयार हूँ!” 
शंकर की रफ़्तार अब धीरे-धीरे बढ़ती ही जा रही थी. मुझे अभी भी दर्द हो रहा था. दस मिनट की चुदाई के बाद मेरा दर्द एक दम कम हो गया और मुझे मज़ा आने लगा. मैंने धीरे-धीरे अपने चूत्तड़ उठा-उठा कर शंकर का साथ देना शुरू कर दिया तो उसने(usne) अपनी रफ़्तार और तेज कर दी. दो मिनट के बाद मैं फिर से झड़ गयी तो शंकर ने अपनी रफ़्तार और बढ़ा दी. अब वो मुझे बहुत तेजी के साथ चोद रहा था. मैं भी एक दम मस्त हो चुकी थी. उसका लंड मेरी चूत के लिये अभी भी बहुत ही ज्यादा बड़ा था. जब वो अपना लंड बाहर खींचता तो मुझे लगता कि मेरी चूत उसके(uske) लंड के साथ ही बाहर निकल जायेगी. धीरे-धीरे शंकर की रफ़्तार बहुत तेज हो गयी. अब वो मुझे एक दम पागलों की तरह से चोदने लगा था. 
अब तक मुझे चुदवाते हुए करीब चालीस मिनट हो चुके थे. मेरी चूत ने शंकर के लंड को रास्ता दे दिया था और मुझे अब ज्यादा मज़ा आने लगा था. वो मुझे चोदता रहा और मैं एक दम मस्त हो कर चुदवाती रही. करीब एक घंटे की चुदाई के बाद शंकर झड़ गया और मैं भी उसके(uske) साथ ही साथ एक बार फिर से झड़ गयी. मैं इस चुदाई के दौरान चार बार झड़ चुकी थी. शंकर ने अपनी तमाम मनि मेरी चूत में निकालने के बाद अपना लंड बाहर निकाला तो मुझे लगा कि मेरी चूत भी उसके(uske) लंड के साथ ही बाहर निकल जायेगी. उसने(usne) अपना लंड मेरे मुँह के पास कर दिया तो सलोनी बोली,“दीदी, तुम रहने दो! इसका लंड मैं चाट कर साफ़ करूँगी!” 
सलोनी ने अपना पैग खतम किया और शंकर के लंड को चाट-चाट कर साफ़ करना शुरू कर दिया. उसके(uske) बाद शंकर बेड पर लेट गया और आराम करने लगा. अब वो एक दम मुतमाइन नज़र आ रहा था. तीस मिनट के बाद सलोनी ने शंकर से कहा, “मुझे भी चोद दो!” 
सलोनी भी काफी ज्यादा पी चुकी थी और नशे में झूम रही थी. 
शंकर बोला, “अभी थोड़ी देर मुझे और आराम कर लेने दो, उसके(uske) बाद मैं आपको भी चोद दुँगा. जब मैं आपकी चुदाई करूँगा तो आपको ज्यादा तकलीफ़ होगी.” 
सलोनी ने पूछा, “क्यों?” 
शंकर ने कहा, “आपने अभी तक राजू से ज्यादा से ज्यादा बीस बार चुदवाया होगा. अभी आपकी चूत पूनम मेमसाब की चूत से बहुत ज्यादा तंग होगी.” 
सलोनी बोली, “कुछ भी हो, मैं तो बस तुम्हारा लंड अपनी चूत के अंदर लेना चाहती हूँ.” 
शंकर बोला, “ठीक है.. थोड़ी देर के बाद मैं आपको चोदुँगा.” 
सलोनी तो नशे में मस्त थी और उसकी(uski) चूत दहक रही थी. उसने(usne) अपने कपड़े उतार दिये और सिर्फ अपने सैंडल पहने ही मेरे पास आ कर बैठ गयी और मेरा हाथ अपनी चूत पे रख दिया. मैं थोड़ी देर उसकी(uski) चूत सहलाती रही पर मेरी अँगुलियों से उसकी(uski) चूत को कहाँ राहत मिलती. कुछ देर बाद शंकर ने सलोनी से अपना लंड चूसने को कहा तो सलोनी शंकर का लंड चूसने लगी. 
जब उसका लंड खड़ा हो गया तो उसने(usne) सलोनी की चुदाई शुरू की. उसने(usne) मुझे जिस तरह आरम से चोदा था, ठीक उसी तरह सलोनी को भी चोद रहा था. लेकिन सलोनी की चूत अभी भी बहुत ज्यादा तंग थी. वो बहुत चिल्लायी और उसे दर्द भी बहुत हुआ लेकिन आखिर में शंकर ने अपना पूरा का पूरा लंड सलोनी की चूत में डाल ही दिया. सलोनी की चूत में शंकर को अपना लंड आरम से घुसाने में करीब बीस मिनट लगे और फिर उसके(uske) बाद उसने(usne) बहुत ही बुरी तरह से सलोनी की चुदाई शुरू कर दी और उसे करीब सवा घंटे तक चोदा. सलोनी उससे चुदवाने में तीन बार झड़ गयी थी. शंकर से चुदवाने के बाद सलोनी की चूत में इतना ज्यादा दर्द हो रहा था कि वो बिल्कुल भी हिलडुल नहीं पा रही थी. 
शंकर ने कहा, “मैं अभी एक बार आपकीचुदाई और करूँगा… उसके(uske) बाद तुम हिलडुल सकोगी और चल भी सकोगी.” 
सलोनी ने शंकर से चुदवाने से मना कर दिया लेकिन शंकर माना नहीं. करीब तीस मिनट के बाद शंकर ने फिर से सलोनी की चुदाई शुरू कर दी. इस बार उसने(usne) सलोनी को एक दम पागलों की तरह बहुत ही बुरी तरह से चोदा. इस बार पूरी चुदाई के दौरान सलोनी जोर-जोर से चींखती ही रही. करीब तीस मिनट चोदने के बाद शंकर ने सलोनी को ज़मीन पर खड़ा कर दिया और खड़े-खड़े ही उसकी(uski) चुदाई की. थोड़ी देर खड़े हो कर चोदने के बाद शंकर ने उसे डॉगी स्टाईल में चोदना शुरू कर दिया. उसके(uske) बाद शंकर ने सलोनी को कईं स्टाईल में बुरी तरह चोदा और उसकी(uski) चूत में ही झड़ गया. 
सलोनी बहुत तड़पी लेकिन शंकर ने उसकी(uski) एक ना सुनी. झड़ जाने के बाद जब शंकर ने अपना लंड उसकी(uski) चूत से बाहर निकाल तो सलोनी की चूत कईं जगह से कट-फट गयी थी और बुरी तरह से सूज भी चुकी थी. 
शंकर ने सलोनी से कहा, “अब मैंने आपकी चूत को एक दम चौड़ा कर दिया है. अब आप मुझे चल कर दिखाओ!” 
सलोनी ने चलने की कोशिश की लेकिन वो ठीक से चलनहीं पा रही थी. शंकर ने कहा, “अभी थोड़ी देर बाद मैं फिर से आपकी चुदाई करूँगा. उसके(uske) बाद आप चलने फिरने लगोगी.” 
सलोनी बोली, “अब मैं तुमसे नहीं चुदवाऊँगी. तुमने मेरी चूत की हालत खराब कर दी है.” 
लेकिन शंकर माना नहीं. एक घंटे के बाद शंकर ने फिर से सलोनी को बहुत ही बुरी तरह से चोदना शुरू कर दिया. वो मना करती रही लेकिन शंकर माना नहीं. उसने(usne) इस बार भी सलोनी को बहुत ही बुरी तरह से करीब डेढ़ घंटे तक चोदा. 
उसके(uske) बाद शंकर ने सलोनी से कहा, “अब मुझे फिर से चल कर दिखाओ”,तो सलोनी डर के मारे ठीक से चलने को कोशिश करने लगी. 
शंकर ने कहा, “शाबाश! देखा तीन बार चुदवाने के बाद आप थोड़ा ठीक से चलने लगी हो!” 
वो बोली, “साले हरामी! वो तो मैं ही जानती हूँ कि मैं कैसे चल रही हूँ!” 
शंकर बोला, “अभी मैं फिर से आपकी चुदाई करूँगा! 
एक घंटे के बाद शंकर ने फिर से सलोनी की बहुत ही बुरी तरह से चुदाई की. शंकर से चुदवाने के बाद मैं भी बिना सहारे के नहीं चल पा रही थी. मैंने कहा, “मैं भी तो ठीक से नहीं चल पा रही हूँ.” 
वो बोला, “पहले मुझे इनकी चाल ठीक कर लेने दो. उसके(uske) बाद मैं आपकी भी बहुत बुरी तरह से चुदाई कर दुँगा उसके(uske) बाद आप भी ठीक से चलने लगोगी!” 
उस दिन के बाद से तो सलोनी और अमित प्रैक्टीकली मेरे घर पर ही रहने लगे. सारा काम अमित ही संभालने लगा क्योंकि मैं साईट पर भी अब हफ्ते में दो-तीन दिन ही जाती थी. सलोनी भी मेरी तरह ही चुदक्कड़ निकली और हम दोनों मिलकर नशे में मस्त होकर दिन-रात राजू और शंकर से चुदवाती रहती. रात को अमित अकेला दूसरे बेडरूम में सोता रहता जबकि सलोनी मेरे साथ मेरे बेडरूम में राजू और शंकर के साथ ऐश करती. 

पति के बिना चुदाया

नमस्कार फ्रेंड्स. आज इस सेक्स कहानी का समापन है. और विश्वास रखिये, ये धमाकेदार ही होगा.मेरा देवर मेरी गांड मारने पे तुला है और उधर एक नया खिलाडी मुझे दिख रहा था अपना लंड हाथ में लिए. शामिल हो जाईये इस चुदक्कड़ खेल में- वो बोला, “अभी मैंने आपको पूरी तरह से औरत कहाँ बनाया है? थोड़ी देर बाद मैं आपको पूरी तरह से औरत बना दूँगा!” मैंने कहा, “वो कैसे?” 
वो बोला, “आपने देखा था न कि मैंने समरीन की गाँड और चूत दोनों को बुरी तरह से चोदा था. अभी तो मैंने सिर्फ आपकी चूत की ही चुदाई की है. जब मैं आपकी गाँड भी मार लूँगा तब आप पूरी तरह से औरत बन जाओगी!” 
मैंने कहा,“प्लीज़. ऐसा मत करो. मेरी चूत में पहले से ही बहुत दर्द हो रहा है. अगर तुम आज ही मेरी गाँड भी मार दोगे तो मैं तो बेड पर से उठने के काबिल भी नहीं रह जाऊँगी!” 
वो बोला, “तो क्या हुआ! मैं आपको आज पूरी तरह से औरत बना कर ही दम लूँगा!” 
पंद्रह मिनट गुजर गये तो शरीफ का लंड मेरी चूत में ही फिर से खड़ा होने लगा. जैसे ही उसका लंड खड़ा हुआ उसने(usne) फिर से मेरी चुदाई शुरु कर दी. इस बार मुझे बहुत हल्का सा दर्द ही हो रहा था क्योंकि उसने(usne) अपना लंड मेरी चूत से बाहर ही नहीं निकाला था. इस बार मुझे भी खूब मज़ा रहा था. शरीफ पूरे जोश और ताकत के साथ जोर-जोर के धक्का लगाता हुआ मुझे चोद रहा था. दो मिनट में ही मैं एक दम मस्त हो गयी थी और चुतड़ उठा-उठा कर शरीफ से चुदवाने लगी. फिर शरीफ ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया. उसका लंड मेरी चूत के रस से एक दम भीगा हुआ था. उसने(usne) मुझे डॉगी स्टाइलमें कर दिया. उसके(uske) बाद उसने(usne) अपने लंड का सुपाड़ा मेरी गाँड के छेद पर रख दिया और मेरी कमर को जोर से पकड़ लिया. मैं डर गयी क्योंकि अब मुझे बहुत ज्यादा तकलीफ़ होने वाली थी. उसके(uske) बाद उसने(usne) एक धक्का मारा तो मेरी तो जान ही निकल गयी. उसके(uske) लंड का सुपाड़ा मेरी गाँड को चीरता हुआ अंदर घुस गया. मैं दर्द के मारे जोर-जोर से चीखने लगी. तभी उसने(usne) दूसरा धक्का लगा दिया इस बार का धक्का इतने जोर का था कि मैं दर्द के मारे तड़प उठी. मैं बेहद बुरी तरह से चीखने लगी. उसका लंड इस धक्के के साथ ही मेरी गाँड में चार इंच तक घुस गया. मैं रोने लगी. मैंने कहा, “अपना लंड बाहर निकाल लो नहीं तो मैं मर जाऊँगी. बेइंतेहा दर्द हो रहा है. मेरी गाँड फट जायेगी!” 
शरीफ ने एक झटके से अपना लंड मेरी गाँड से बाहर निकाल कर मेरी चूत में घुसेड़ दिया. उसके(uske) बाद उसने(usne) मेरी चुदाई शुरु कर दी. मुझे थोड़ी ही देर में फिर से मज़ा आने लगा और मैं गाँड के दर्द को भूल गयी. उसने(usne) अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल कर एक झटके से मेरी गाँड में डाल दिया. मेरे मुँह से जोर की चीख निकली. उसके(uske) बाद उसने(usne) जोर का धक्का लगाया. इस धक्के के साथ ही उसका लंड मेरी गाँड में और ज्यादा गहरायी तक घुस गया. मैं जोर से चिल्लायी, “शरीफ! मैं मर जाऊँगी.“ 
वो बोला, “शाँत हो जाओ. क्या आपने आज तक कभी सुना है कि किसी औरत की मौत चुदवाने से या गाँड मरवाने से हुई है!” मैंने कहा, “नहीं!” 
वो बोला, “फिर घबराओ मत… आप मरोगी नहीं… सिर्फ थोड़ा दर्द होगा. उसके(uske) बाद तो आप खुद ही रोज-रोज मुझसे गाँड भी मरवाओगी और चूत की चुदाई भी करवाओगी!” 
इतना कहने के बाद उसने(usne) पूरी ताकत के साथ फिर से एक धक्का मारा. मेरा जिस्म पसीने से लथपथ हो गया. मेरी आँखों के सामने अन्धेरा छाने लगा. मैं दर्द के मारे जोर-जोर से चीखने लगी. शरीफ ने मेरे उपर जरा-सा रहम नहीं किया और बहुत जोरदार एक धक्का और लगा दिया. इस धक्के के साथ ही उसका पूरा का पूरा लंड मेरी गाँड में घुस गया. मैं रोने लगी थी और मेरी आँखों से आँसू बह रहे थे. उसने(usne) मुझे बिना कोई मौका दिये ही अपना पूरा का पूरा लंड बाहर खींच लिया और फिर एक झटके में वापस मेरी गाँड में घुसेड़ दिया. मैं फिर से चीखी. उसने(usne) मेरी चीख पर कोई भी ध्यान नहीं दिया और ना ही मुझ पर कोई रहम किया. उसने(usne) ऐसा चार-पाँच बार किया. मेरी गाँड की हालत बेहद खराब हो चुकी थी. उसके(uske) बाद उसने(usne) अपना लंड मेरी चूत में घुसा कर मेरी चुदाई शुरु कर दी. थोड़ी ही देर में मैं फिर से सारा दर्द भूल गयी और मुझे मज़ा आने लगा. शरीफ ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला और मेरी गाँड में घुसेड़ दिया. मैं फिर से चिल्लायी. लेकिन इस बार शरीफ रुका नहीं. उसने(usne) तेजी के साथ मेरी गाँड मारनी शुरु कर दी. करीब पाँच मिनट तक मैं चीखती रही. फिर धीरे-धीरे खामोश हो गयी. अब मुझे गाँड मरवाने में भी मज़ा आने लगा था. दस मिनट तक मेरी गाँड मारने के बाद शरीफ ने अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया और मेरी चुदाई करने लगा. मैं एक दम मस्त हो चुकी थी और सिसकारियाँ भरने लगी थी. थोड़ी देर बाद जब उसने(usne) अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकला तो मैंने कहा, “अब तो तुमने मुझे पूरी तरह से औरत बना दिया!” 
वो बोला, “अभी कहाँ!” 
मैंने कहा, “अब क्या बाकी है?” 
वो बोला, “अभी मैंने ठीक से आपकी गाँड कहाँ मारी है. मैं तो अभी आपकी गाँड को ढीला कर रहा था. अगली बार मैं सिर्फ आपकी गाँड मारूँगा और अपने लंड का सारा रस आपकी गाँड में निकाल दूँगा. उसके(uske) बाद आप पूरी तरह से औरत बन जाओगी!” 
पैंतालीस मिनट के बाद शरीफ का लंड खड़ा हो गया तो उसने(usne) मेरी गाँड मारनी शुरु कर दी. पहले तो मुझे काफ़ी दर्द हुआ लेकिन थोड़ी ही देर बाद मेरा सारा दर्द खतम हो गया. शरीफ बहुत बुरी तरह से मेरी गाँड मार रहा था. मैं भी अब मस्त हो चुकी थी. मुझे भी अब खूब मज़ा आ रहा था. मैं नहीं जानती थी कि गाँड मरवाने में भी इतना मज़ा आता है. इस दफ़ा उसने(usne) मेरी चूत को छुआ तक नहीं सिर्फ मेरी गाँड मारता रहा. उसने(usne) लगभग पंद्रह मिनट तक खूब जम कर मेरी गाँड मारी और फिर मेरी गाँड में ही झड़ गया. इस दौरान जोश के मारे मेरी चूत से दो दफ़ा पानी भी निकल चुका था. लंड का सारा रस मेरी गाँड में निकाल देने के बाद शरीफ हट गया और मेरे बगल में लेट गया. 
मैंने मुसकुराते हुए कहा, “अब तो मैं पूरी तरह से औरत बन गयी हूँ या अभी कुछ और भी बाकी है!” 
वो बोला, “नहीं, अब तो मैंने तुम्हें पूरी तरह से औरत बना दिया है!” 
सारा दिन शरीफ मेरी चुदाई करता रहा और मेरी गाँड मारता रहा. शाम के पाँच बजे अमित का फोन आया कि ऑफिस में कुछ काम होने की वजह से वो रात के ग्यारह बजे तक आयेंगे. ये सुन कर शरीफ खुश हो गया और मैं भी. रात के ग्यारह बजे तक शरीफ ने मुझे पाँच दफ़ा चोदा और तीन मर्तबा मेरी गाँड मारी. मुझे पहली दफ़ा जवानी का असली मज़ा आया था और मैं बिल्कुल मस्त हो गयी थी. रात के ग्यारह बजे अमित वापस आ गये. मेरी गाँड और चूत बुरी तरह से सूज गयी थी. मैं बेड पर से उठने के काबिल ही नहीं रह गयी थी. शरीफ दरवाज़ा खोलने गया तो मैंने एक चादर ओढ़ ली. दरवाज़ा खोलने के बाद शरीफ अपने रूम में चला गया. अमित मेरे पास आये. उन्होंने मुझे चादर ओढ़ कर लेटे हुए देखा तो बोले, “क्या हुआ?” 
मैंने कहा, “वही जो होना चाहिये था. मैंने आज शरीफ से सारा दिन खूब जम कर चुदवाया है. उसने(usne) मेरी गाँड भी मारी है. आज मुझे जवानी का असली मज़ा मिला है जो कि तुम मुझे कभी नहीं दे सकते थे!” 
वो बोले, “चलो अच्छा ही हुआ. अब तुम्हें सारी ज़िन्दगी शरीफ से मज़ा मिलता रहेगा. तुम्हें कहीं इधर-उधर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. शरीफ से चुदवा कर खुश हो ना?” 
मैंने कहा, “हाँ! मैं बेहद खुश हूँ. उसने(usne) आज मुझे बेहद अच्छी तरह से चोदा है. मैं शरीफ से चुदवाने के बाद पूरी तरह से सैटिसफाइड हूँ!” 
तभी अमित ने मेरे उपर से चादर खींच ली और मेरी चूत और गाँड को देखने लगे. वो बोले, “तुम्हारी चूत और गाँड की हालत तो एकदम खराब हो गयी है. बेड की चादर भी तुम दोनों के रस से से एक दम भीग कर खराब हो चुकी है!” 
मैंने कहा, “हाँ! मैं जानती हूँ. मैं इस चादर को साफ़ नहीं करूँगी. इस से मेरी यादें जुड़ी हुई हैं. मैं इसे सारी ज़िन्दगी अपने पास संभाल कर रखुँगी!” 
उसके(uske) बाद अमित ने भी मेरी चुदाई की. शरीफ के लंड ने मेरी चूत को इतना ज्यादा चौड़ा कर दिया था कि मुझे पता ही नहीं चला कि कब उनका लंड मेरी चूत में घुसा और कब बाहर निकल गया. उसके(uske) बाद हम सो गये. सुबह को अमित के ऑफिस जाने के बाद शरीफ ने फिर से मेरी चुदाई शुरु कर दी. उस दिन भी वो कॉलेज नहीं गया. वो सारा दिन मुझे चोदता रहा और मेरी गाँड मारता रहा.